रिपोर्ट: 2030 तक भारत में मर सकते हैं 17 लाख से अधिक बच्चे, जानिए क्या है कारण?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 13, 2018 07:28 AM2018-11-13T07:28:13+5:302018-11-13T07:28:13+5:30
इस संक्रामक बीमारी के चलते 2030 तक पांच साल से कम उम्र के 1.1 करोड़ बच्चों की मौत होने की आंशका है. इस रोग के चलते सबसे अधिक मौतें नाइजीरिया, भारत, पाकिस्तान और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हो सकती हैं.
लंदन, 12 नवंबर: भारत में 2030 तक निमोनिया से 17 लाख से अधिक बच्चों के मरने की की आशंका है. वहीं विश्व में इस संक्रामक बीमारी के चलते 2030 तक पांच साल से कम उम्र के 1.1 करोड़ बच्चों की मौत होने की आंशका है. इस रोग के चलते सबसे अधिक मौतें नाइजीरिया, भारत, पाकिस्तान और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हो सकती हैं.
यह चेतावनी एक वैश्विक अध्ययन के माध्यम से दी गई है. अध्ययन की यह रिपोर्ट सोमवार को विश्व निमोनिया दिवस के मौके पर जारी की गई. ब्रिटेन स्थित गैर सरकारी संगठन 'सेव द चिल्ड्रन' की यह रिपोर्ट कहती है कि आसानी से उपचार किए जाने योग्य बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या में से एक तिहाई यानी 40 लाख से अधिक मौतें टीकाकरण, उपचार और पोषण की दरों में सुधार के ठोस कदम से आसानी से टाली जा सकती हैं.
2016 में 880,000 बच्चों की गई जान दुनियाभर में यह बच्चों के लिए सबसे बड़ी जानलेवा संक्रामक बीमारी है. मलेरिया, दस्त एवं खसरा को मिलाकर जितनी मौतों होती हैं, उससे कहीं ज्यादा अकेले इस बीमारी से होती हैं. वर्ष 2016 में 880,000 बच्चों की इस बीमारी से जान चली गई. उनमें से ज्यादातर दो साल से कम उम्र के थे. यह सबसे हाल का वर्ष है जिसके लिए इस बीमारी के संदर्भ पूरे आंकड़े उपलब्ध हैं.
हर साल मर रहे 10 लाख बच्चे सेव द चिल्ड्रेन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पॉल रोनाल्ड्स ने कहा कि यह विश्वास करना काफी मुश्किल है कि हर साल दस लाख बच्चे एक ऐसी बीमारी से मर रहे हैं जिसे हराने के लिए हमारे पास ज्ञान और संसाधन हैं. इस अध्ययन के अनुसार वर्तमान रुझान के हिसाब से 2030 तक इस बीमारी से करीब 10,865,728 बच्चे मौत की मुंह में जाएंगे.
बॉक्स इतने बच्चों की जाएगी जान इन देशों में देश - इतने बच्चों की जा सकती है जान नाइजीरिया - 1,730,000 भारत - 1,710,000 पाकिस्तान - 706,000 कांगो - 635,000