सैमसंग के चेयरमैन ली कुन-ही का 78 साल की उम्र में निधन, कंपनी को फर्श से अर्श तक ऐसे पहुंचाया, जानें सफरनामा
By विनीत कुमार | Published: October 25, 2020 07:42 AM2020-10-25T07:42:07+5:302020-10-25T07:46:16+5:30
सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के चेयरमैन ली कुन-ही का रविवार को निधन हो गया। वे 78 साल के थे। दक्षिण कोरिया की सैमसंग कंपनी को दुनिया की सबसे दिग्गज कंपनी बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही।
दुनिया की दिग्गज कंपनियों में से एक सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के चेयरमैन ली कुन-ही (Lee Kun-Hee) का निधन हो गया है। कंपनी की ओर से जानकारी दी गई है कि उनका निधन रविवार को 78 वर्ष की आयु में हुआ। दक्षिण कोरियाई फर्म सैमसंग को एक दिग्गज वैश्विक कंपनी में बदलने वाले ली को 2014 में भी दिल का दौरा पड़ा था।
कंपनी ने एक बयान में कहा, 'बहुत दुख के साथ हमें ये बताना पड़ रहा है कि सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के अध्यक्ष कुन-ही ली का निधन हो गया है।' कंपनी ने बताया कि ली के निधन के समय उनके साथ उनका परिवार मौजूद था और इसमें कंपनी के वाइस चेयरमैन जे वाई ली भी शामिल हैं।
कंपनी ने अपने बयान में आगे कहा, 'चेयरमैन ली एक सच्चे दूरदर्शी थे जिन्होंने सैमसंग को एक स्थानीय व्यवसाय से विश्व की अग्रणी इनोवेटर और औद्योगिकं कंपनी में बदल दिया। उनकी विरासत हमेशा कायम रहेगी।'
बता दें कि विश्व की 12वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी दक्षिण कोरिया के बिजनेस में सैमसंग का बोलबाला है। कंपनी का कुल कारोबार दक्षिण कोरिया की सकल घरेलू उत्पाद के पांचवें हिस्से के बराबर है। जाहिर है, यह कंपनी दक्षिण कोरिया की आर्थिक मजबूती में बड़ी भूमिका निभाती है।
ली कुन-ही के बेटे और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के वाइस चेयरमैन ली जाय-यंग 2014 में पिता को आए हार्ट अटैक के बाद से ही कंपनी की अधिकतर जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं।
ली को 2017 में पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून ही से जुड़े मामले में रिश्वतखोरी और अन्य अपराधों के लिए दोषी पाए जाने के बाद पांच साल जेल की भी सजा हुई थी। एक साल बाद हालांकि, उन पर लगे कई गंभीर आरोपों को हटा लिया गया और जेल से भी रिहा किया गया। ली को फरवरी, 2018 में सियोल हाई कोर्ट द्वारा उनकी सजा घटाकर ढाई साल करने और सजा को स्थगित रखने के फैसले के बाद रिहा कर दिया गया था।
Lee Kun-Hee ने ऐसे बनाया सैमसंग को दुनिया की सबसे दिग्गज कंपनी
ली 1968 में सैमसंग से जुड़े थे। कंपनी की स्थापना करने वाले अपने पिता ली ब्यूंग-च्यूल के निधन के दो हफ्ते बाद 24 दिसंबर, 1987 को उन्होंने बतौर चेयरमैन का पद संभाला और फिर सबकुछ बदलता चला गया। ली ने खराब और कम गुणवत्ता को छोड़ बेहतर गुणवत्ता पर जोर दिया।
इसके लिए कंपनी की कई नीतियों में बदलाव करने पड़े। बाहर के देशों से कई विशेषज्ञ कंपनी में लाए गए और दक्षिण कोरिया के स्थानीय कर्मचारियों को बाहर भेजा गया। अगले 10 से 15 सालों में ही सैमसंग दुनिया की दिग्गज कंपनियों के बीच एक बड़े नाम के तौर पर उभरा।