COVID-19: कोरोना वायरस के इलाज में कारगर साबित हो सकता है एंटी वायरल रेमेडिसविर! नए शोध ने जगाई उम्मीद

By मनाली रस्तोगी | Published: April 15, 2020 11:13 AM2020-04-15T11:13:56+5:302020-04-15T11:13:56+5:30

कोरोना वायरस (Coronavirus) से लड़ने के लिए एंटी वायरल दवा रेमेडिसविर (Remdesivir) कारगर साबित हो सकती है। दरअसल, इबोला वायरस की दवा रेमेडिसविर के इस्तेमाल से काफी उत्साहजनक नतीजे मिले हैं, जिसकी वजह से ये माना जा रहा है कि ये दवा कोरोना पर भी अपना असर दिखाएगी।

Remdesivir can fight Coronavirus, says study | COVID-19: कोरोना वायरस के इलाज में कारगर साबित हो सकता है एंटी वायरल रेमेडिसविर! नए शोध ने जगाई उम्मीद

अमेरिका की फार्मा कंपनी ने रेमेडिसविर को तैयार किया है! (फाइल फोटो)

Highlightsकई देशों में कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन तैयार करने के लिए ट्रायल चल रहे हैं।एंटी वायरल दवा रेमेडिसविर का इस्तेमाल इबोला संक्रमण के दौरान भी किया गया था।

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) ने बेहद तेजी से पूरी दुनिया में अपने पैर पसार लिए हैं। ऐसे में जहां एक ओर इस महामारी के कारण कई जानें मौत के घाट उतर चुकी हैं तो वहीं अब कुछ नए शोध में ये बातें सामने आई हैं कि एंटी वायरल दवा रेमेडिसविर (Remdesivir) को कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल करना कारगर साबित हो सकता है। दरअसल, इसी दवा को इबोला संक्रमण के दौरान भी इस्तेमाल में लाया गया था। 

अमेरिका की फार्मा कंपनी जीलीड साइंसेज इंक (Gilead Sciences Inc) रेमेडिसविर को तैयार करती है। इस दवा को अब एक आशा भरी नजरों से देखा जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस एंटी वायरल दवा के जल्द से जल्द टेस्ट करने के आदेश दे दिए हैं। रेमेडिसविर को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि ये कोरोना वायरस के इलाज में कारगर साबित हो सकता है। 

द बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में छपे एक जर्नल के मुताबिक, मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) के इलाज में रेमेडिसविर कारगर साबित हुआ है। ऐसे में यह कोरोना पर भी अपना असर दिखाएगा। वैज्ञानिक इतने दावे के साथ ये इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस से जुड़ी हुई बीमारी है। इस स्थिति में वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है कि रेमेडिसविर कोविड-19 (COVID-19) पर भी अपना असर दिखा दे।

इस मामले में कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा की अध्ययनकर्ता मैथियास गोट्टे का कहना है कि हमने लगभग समान परिणाम प्राप्त किए हैं, जैसा कि हमने पहले MERS के साथ रिपोर्ट किया था, इसलिए हम देखते हैं कि रेमेडिसविर कोरोनो वायरस पॉलिमी के लिए एक बहुत ही शक्तिशाली अवरोधक है।

अपनी बात को जारी रखते हुए गोट्टे ने बताया कि अगर आप पॉलिमर्एस (एक एंजाइम जो डीएनए या आरएनए के मौजूदा किनारा से नए डीएनए और आरएएन के गठन का उत्प्रेरित करता है) को लक्षित करते हैं, तो वायरस फैल नहीं सकता है। ऐसे में उपचार के लिए ये दवा मददगार साबित हो सकती है।

कब सामने आएंगे नतीजे?

जीलीड साइंसेज इंक फिलहाल तीसरे चरण का ट्रायल कर रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस ट्रायल के नतीजे अप्रैल के आखिरी दिनों में या मई के महीने में सामने आएंगे। अगर सब सही रहता है तो अमेरिका का फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग कंपनी को इस दवा को बेचने की इजाजत दे सकता है। 

आपको बता दें कि रेमेडिसविर को लेकर अमेरिका में मार्च के महीने में परीक्षण शुरू हो गए थे। इसलिए इस दवा का परीक्षण अपने महत्वपूर्ण चरण में चल रहा है। अमेरिका का फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग 23 मार्च को ही इस एंटी वायरल दवा को ऑर्फ़न ड्रग (orphan drug) का दर्जा दे चुका है।

क्या होते हैं ऑर्फ़न ड्रग?

ऑर्फ़न ड्रग का दर्जा उन दवाओं को दिया जाता है, जोकि किसी गंभीर बीमारी को ठीक करने में मददगार साबित होता है। ऑर्फ़न का मतलब होता है अनाथ। इन्हें ये नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इन दवाओं का व्यावसायिक उत्पादन रुका होता है और इनके उत्पादन के लिए सरकारी मदद चाहिए होती है।

कैसे हुई थी रेमेडिसविर दवा की खोज?

2010 के दशक के मध्य में रेमेडिसविर दवा की खोज की गई थी। इसकी शुरुआती जांच जानवरों पर की गई थी, जिसमें ये पता चला था कि इबोला के इलाज के लिए ये दवा सटीक काम करेगी। हालांकि, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में हुए तीसरे चरण के बड़े परीक्षण के दौरान ये बात सामने आई थी कि रेमेडिसविर दवा पूरी तरह से इबोला को ठीक करने में मददगार नहीं है। मगर कोरोना वायरस का सार्स और मर्स से काफी मिलना, ये दर्शाता है कि ये दवा कोरोना के इलाज में कारगर साबित हो सकती है।

Web Title: Remdesivir can fight Coronavirus, says study

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