पाकिस्तान में आटे की कमी की वजह से रोटियों के लिए तरस रहे हैं लोग, खैबर पख्तूनख्वाह में नान बनाने वाली कई दुकानें हुई बंद
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 22, 2020 09:00 AM2020-01-22T09:00:12+5:302020-01-22T09:00:12+5:30
पेशावर शहर में नान की कई दुकानें बंद रहने के कारण ज्यादातर लोगों के पास अब चावल ही विकल्प है.पेशावर में आमतौर पर यह चलन है कि लोग बाहर से नान खरीदते हैं. इसीलिए शहर में ढाई हजार से भी ज्यादा नान बनाने की दुकानें हैं. खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में नानबाई एसोसिएशन (बेकर्स एसोसिएशन) के अध्यक्ष हाजी मुहम्मद इकबाल ने बीबीसी को बताया कि एक महीने पहले तक 85 किलोग्राम मैदा क़रीब चार हजार रु पए में मिला करता था जबकि मौजूदा समय में इसकी कीमत बढ़कर पांच हजार के पार पहुंच गई है.
भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के कुछ प्रांत आटे की कमी से जूझ रहे हैं. इस कारण यहां पर लोगों को रोटी तक नहीं नसीब हो पा रही. खैबर पख्तूनख्वाह में नान बनाने वाली कई दुकानें आटे की कमी के चलते बंद हो गई हैं. बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब प्रांत भी आटे की किल्लत से जूझ रहे हैं. पाकिस्तान की केंद्र सरकार ने मामले का संज्ञान लिया है मगर प्रांतीय सरकारों का दावा है कि आटे-गेहूं की कमी नहीं है और जानबूझकर यह संकट पैदा किया गया है.
मगर जमीनी हालात को देखें तो आम लोग आटे की कमी से जूझ रहे हैं और कई प्रांतों में नान (एक प्रकार की रोटी) की बिक्री पर भारी असर पड़ा है. हड़ताल पर गए बेकरी वाले खैबर पख्तूनख्वाह में स्थिति सबसे अधिक गंभीर है. आटे की क़ीमतें बढ़ने के बाद से कई शहरों में नान के कारोबार से जुड़े नानबाई यानी बेकर हड़ताल पर चले गए हैं. इसके बाद पुलिस ने चार नानबाइयों को हिरासत में भी लिया है. संवाददाता अजीज़ुल्लाह खान के मुताबिक, इस संबंध में सरकार से बातचीत तो हुई लेकिन अभी तक कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है.
पेशावर शहर में नान की कई दुकानें बंद रहने के कारण ज्यादातर लोगों के पास अब चावल ही विकल्प है.पेशावर में आमतौर पर यह चलन है कि लोग बाहर से नान खरीदते हैं. इसीलिए शहर में ढाई हजार से भी ज्यादा नान बनाने की दुकानें हैं. खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में नानबाई एसोसिएशन (बेकर्स एसोसिएशन) के अध्यक्ष हाजी मुहम्मद इकबाल ने बीबीसी को बताया कि एक महीने पहले तक 85 किलोग्राम मैदा क़रीब चार हजार रु पए में मिला करता था जबकि मौजूदा समय में इसकी कीमत बढ़कर पांच हजार के पार पहुंच गई है.
लेकिन दाम सिर्फ आटे-मैदे के नहीं बढ़े हैं. इनके साथ-साथ गैस की क़ीमतें भी आसमान पर पहुंच गई हैं. ऐसे में नान और रोटियों का दाम बढ़ना तय है. इस सबके बावजूद सरकार का दबाव है कि रोटियों और नान की कीमतें ना बढ़ाई जाएं. हाजी इकबाल कहते हैं कि पेशावर में साल 2013 में 170 ग्राम आटे से बने नान की कीमत दस रु पये तय की गई थी जो कि अभी तक नहीं बढ़ी है. ऐसा तब है जबकि आटे के दाम कई कई बार बढ़ चुके हैं. सरकार के साथ बातचीत में नानबाइयों ने मांग रखी है कि 150 ग्राम आटे से बनी रोटी की कीमत 15 रु पए कर दी जाए. लेकिन सरकार का कहना है कि 15 रु पए वाली रोटी का वज़न 170 ग्राम होना चाहिए.पेशावर में नान एक तय कीमत पर नहीं बिकते. ज्यादातर लोग सौ ग्राम के वजन पर रोटियां बेचते हैं और कुछ तो इससे भी कम पर.
यह पुराना मसला है लेकिन सरकार इस समस्या का अभी तक कोई हल नहीं तलाश सकी है. हाजी मुहम्मद बताते हैं कि केंद्र सरकार ने क़रीब एक महीने पहले अफगानिस्तान को आटा निर्यात किया है जिसके बाद से प्रांत में आटे की क़ल्लित और बढ़ गई है. पेशावर के रामपुरा गेट के पास एक बड़ा बाजार है. यहां आटे के बोरे तो हैं लेकिन खरीदार नहीं. जिन बोरों की कीमत एक महीने पहले तक साढ़े आठ सौ रु पये के करीब थी, वही बोरे आज 11,00 रु पए की कीमत पर बेचे जा रहे हैं.
कीमतें बढ़ने की वजह से उनके खरीदारों में भी कमी आई है. वहीं प्रांतीय सरकारों का कहना है कि पंजाब से जल्दी ही ख़ैबर पख्तूनख्वाह के लिए आटे की सप्लाई होनी है और बहुत जल्द खैबर पख्तूनख्वाह में आटे की बढ़ी कीमतों और किल्लत पर काबू पा लिया जाएगा.