इस्लामाबाद उच्च न्यायालयः 24 नवंबर तक कोर्ट में पेश हो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, नहीं तो घोषित होंगे भगोड़ा

By भाषा | Published: October 10, 2020 03:32 PM2020-10-10T15:32:25+5:302020-10-10T15:32:25+5:30

शरीफ ने लंदन स्थित अपने आवास पर गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट स्वीकार करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया, जिसके बाद अदालत का यह आदेश आया है। शरीफ अपने इलाज के सिलसिले में पिछले साल नवंबर से लंदन में ठहरे हुए हैं।

Pakistani court Islamabad former prime minister Nawaz Sharif November 24 non-bailable arrest warrants | इस्लामाबाद उच्च न्यायालयः 24 नवंबर तक कोर्ट में पेश हो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, नहीं तो घोषित होंगे भगोड़ा

15 सितंबर को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी वारंट को तामील नहीं किया जा सका। (file photo)

Highlightsशरीफ को भगोड़ा घोषित होने से बचने के लिये 24 नवंबर तक अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।अदालतों और सरकार ने उन्हें इलाज की खातिर आठ हफ्तों के लिये वहां जाने की इजाजत दी थी। अल अजीजिया एवं एवेनफील्ड रिश्वत मामले में शरीफ की अपील पर कार्यवाही के बारे में शुक्रवार को एक लिखित आदेश जारी किया।

इस्लामाबादः इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भगोड़ा घोषित होने से बचने के लिये 24 नवंबर तक अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

दरअसल, शरीफ ने लंदन स्थित अपने आवास पर गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट स्वीकार करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया, जिसके बाद अदालत का यह आदेश आया है। शरीफ अपने इलाज के सिलसिले में पिछले साल नवंबर से लंदन में ठहरे हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि अदालतों और सरकार ने उन्हें इलाज की खातिर आठ हफ्तों के लिये वहां जाने की इजाजत दी थी। लेकिन वह वापस नहीं आये हैं, जबकि उनके वकीलों ने अदालत से कहा कि वह अभी रोग से उबर रहे हैं। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने अल अजीजिया एवं एवेनफील्ड रिश्वत मामले में शरीफ की अपील पर कार्यवाही के बारे में शुक्रवार को एक लिखित आदेश जारी किया।

अदालत ने सात अक्टूबर को प्रथम सचिव (दूतावास मामलों), दिलदार अल एब्रो और लंदन स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के काउंसलर अताशे राव अब्दुल हन्नान तथा विदेश मंत्रालय में यूरोप-1 के लिये निदेशक मोहम्मद मुबशीर खान के बयान दर्ज किये थे। उन्होंने अदालत को बताया कि अदालत में शरीफ की हाजिरी सुनिश्चित करने के लिये गैर जमानती वारंट पहुंचाने के अदालती आदेश के अनुपालन में कोशिशें की गई। उन्होंने बताया कि कोशिशों के बावजूद 15 सितंबर को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी वारंट को तामील नहीं किया जा सका।

लंदन स्थित शरीफ के आवास पर उनके प्रतिनिधियों के रवैये से नाराज उच्च न्यायालय ने सात अक्टूबर को आदेश दिया कि उन्हें तलब करने के लिये अखबारों में विज्ञापन दिया जाए। अदालत ने संघीय सरकार को डॉन और जंग अखबार में इस संबंध में प्रकाशित किये जाने वाले विज्ञापनों का खर्च वहन करने का निर्देश दिया।

सरकार ने बाद में अदालत को बताया कि इन अखबारों में विज्ञापनों के लिये 60,000 रुपये भुगतान किये गये। अदालत ने शरीफ से 24 नवंबर तक उसके समक्ष पेश होने को कहा है, अन्यथा उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा। इस घोषणा के बाद उनकी संपत्ति और पासपोर्ट जब्त किये जा सकते हैं।

शरीफ ने लंदन में रहने के दौरान 20 सितंबर को एक बयान में पाकिस्तान की राजनीति में हस्तक्षेप के लिये सशस्त्र बलों को जिम्मेदार ठहराया था। शरीफ की इस टिप्पणी के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने के लिये उनकी वापसी को लेकर उन पर दबाव बढ़ रहा है। 

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