हाफिज सईद को राहत, बैंक खातों पर लगी रोक हटाई, कोर्ट ने मक्की और अब्दुस सलाम को रिहा करने का दिया आदेश
By भाषा | Published: August 13, 2020 09:14 PM2020-08-13T21:14:29+5:302020-08-13T21:14:29+5:30
जून में लाहौर में आतंकवाद-रोधी अदालत (एटीसी) ने अब्दुल रहमान मक्की और अब्दुस सलाम को आतंकी वित्तपोषण के लिए एक साल की कैद की सजा सुनाई थी। एटीसी ने प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था, जिसमें विफल रहने पर उन्हें और छह महीने की जेल काटने का आदेश दिया गया था।
लाहौरः पाकिस्तान की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को आतंकवादी-वित्तपोषण के एक मामले में जमात-उद-दावा के दो वरिष्ठ नेताओं की एक साल की जेल की सजा को निलंबित कर दिया, जिन्हें 2008 के मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का करीबी सहयोगी माना जाता है।
जून में लाहौर में आतंकवाद-रोधी अदालत (एटीसी) ने अब्दुल रहमान मक्की और अब्दुस सलाम को आतंकी वित्तपोषण के लिए एक साल की कैद की सजा सुनाई थी। एटीसी ने प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था, जिसमें विफल रहने पर उन्हें और छह महीने की जेल काटने का आदेश दिया गया था।
जेयूडी के इन नेताओं को आतंकवाद विरोधी अधिनियम 1997 के तहत दोषी ठहराया गया था। दोनों नेताओं ने लाहौर उच्च न्यायालय में अपनी सजा को चुनौती दी थी। अदालत के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘लाहौर उच्च न्यायालय ने आज अब्दुल रहमान मक्की और अब्दुस सलाम की एक-एक साल की सजा को निलंबित कर दिया और जमानत पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।’’
उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ, जिसमें असजद जावेद गुरल और वहीद खान शामिल थे, ने बृहस्पतिवार को उनकी याचिका पर सुनवाई की और बचाव तथा अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद उसने मक्की और सलाम की याचिका स्वीकार कर ली और एटीसी की सजा को स्थगित करने का आदेश दिया।
पीठ ने जमानत पर उनकी रिहाई का भी आदेश दिया। दोनों नेता लाहौर की कोट लखपत जेल में अपनी सजा काट रहे हैं। एटीसी के फैसले के अनुसार, दोनों नेताओं को आतंकवाद के वित्तपोषण का दोषी पाया गया था। वे धन इकट्ठा करते थे और प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा संगठन का वित्तपोषण करते थे। एटीसी ने आतंकवाद के वित्तपोषण के माध्यम से एकत्र किए गए धन से बनाई गई संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश दिया था।
पाक ने हाफिज सईद और उसके चार सहयोगियों के बैंक खातों पर लगी रोक हटाई
पाकिस्तान ने प्रतिबंधित जमात-उद-दावा (जेयूडी) प्रमुख और मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद और उसके चार शीर्ष सहयोगियों के बैंक खातों पर लगी रोक हटा दी है। मीडिया में आई खबर में रविवार को यह जानकारी दी गई। संयुक्त राष्ट्र ने सईद को आतंकवादी घोषित कर रखा है और अमेरिका ने उस पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है।
उसे पिछले साल 17 जुलाई को आतंकी वित्त पोषण के मामलों में गिरफ्तार किया गया था। आतंकी वित्त पोषण के दो मामलों में उसे इस साल फरवरी में आतंकवाद निरोधी अदालत द्वारा 11 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। वह लाहौर की कड़ी सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल में बंद है। ‘द न्यूज’ की खबर के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकी सूची में शामिल अब्दुल सलाम भुट्टावी, हाजी एम अशरफ, याह्या मुजाहिद और जफर इकबाल जमात और लश्कर-ए-तैयबा के वो अन्य सदस्य हैं जिनके बैंक खातों पर लगी रोक हटा दी गई है।
अखबार ने कहा कि पंजाब आतंकवाद निरोधी विभाग (सीटीडी) द्वारा उनके खिलाफ दायर आतंकी वित्त पोषण के मामले में ये लोग अभी लाहौर जेल में एक से पांच साल कैद की सजा काट रहे हैं। अखबार ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति से औपचारिक स्वीकृति मिलने के बाद बैंक खातों पर लगी रोक को हटाया गया है।” सूत्रों का हवाला देते हुए अखबार ने कहा कि जेयूडी सरगना ने संयुक्त राष्ट्र से बैंक खातों से लेनदेन पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया था जिससे वह घर चला सके।
जेयूडी के एक प्रमुख नेता को उद्धृत करते हुए अखबार ने कहा, “शुरू में हम कोई अपील नहीं दायर करना चाहते थे लेकिन हमें सलाह दी गई कि हम अपील करें क्योंकि हमारे नेताओं के लिये अपना कामकाज चलाना मुश्किल हो रहा था।” अखबार में कहा गया कि इन नेताओं ने पाकिस्तान सरकार से किये गए अपने अनुरोध में अपनी वित्तीय आय और आय के स्रोत का उल्लेख किया था। इसमें कहा गया कि इस अपील को उनके बैंक खाता संख्या और अन्य विवरण के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भेजा गया।
सईद के नेतृत्व वाला जेयूडी लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। लश्कर ही 2008 में हुए मुंबई हमले के लिये जिम्मेदार था। इस हमले में छह अमेरिकियों समेत 166 लोगों की मौत हुई थी। अमेरिकी वित्त विभाग ने सईद को खास तौर पर वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267 के तहत दिसंबर 2008 में उसे आतंकी सूची में डाला गया। सुरक्षा परिषद प्रस्ताव के अनुपालन में पाकिस्तान सरकार ने उसके बैंक खाते से लेनदेन पर रोक लगा दी थी।