पाकिस्तान में हिंसा, फ्रांस में कार्टून छापने पर विवाद, जल उठा लाहौर, तीन लोगों की मौत
By सतीश कुमार सिंह | Published: April 19, 2021 09:35 PM2021-04-19T21:35:11+5:302021-04-19T21:53:04+5:30
सरकारी आंकड़ों में दिखाया जा रहा है कि लाहौर में रविवार को शुरू हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई। वहीं, तहरीक-ए-लब्बैक की मानें तो वहां कई लोगों के खून बहे हैं।
लाहौरः पाकिस्तान के लाहौर में इस्लामिक कट्टरपंथी गुट तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) के समर्थकों ने बवाल मचा रखा। पूरा लाहौर शहर जंग के मैदान में तब्दील हो चुका है।
सरकारी आंकड़ों में दिखाया जा रहा है कि लाहौर में रविवार को शुरू हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई। वहीं, तहरीक-ए-लब्बैक की मानें तो वहां कई लोगों के खून बहे हैं। संगठन का दावा है कि उसके कई लोग मारे गए हैं।
इस बीच पाकिस्तानी सेना के कई जवानों ने वीडियो जारी कर सेना से इमरान खान सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील की है। तहरीक-ए-लब्बैक के समर्थन में पाकिस्तान के कई और कट्टरपंथी गुट आ गए हैं। TLP के लोगों ने कई पुलिसकर्मियों को अगवा भी कर लिया। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक उन्हें अब रिहा कर दिया गया है।
क्या है दंगे की वजह?
लाहौर में दंगा भड़कने की वजह है पैगंबर मुहम्मद के कार्टून, जो कि फ्रांस की एक मैग्जीन द्वारा प्रकाशित किए गए थे। फ्रांस में पैगंबर मुहम्मद के कॉर्टून प्रकाशित होने के बाद कई हत्याएं हुई थीं। हत्याओं के बाद फ्रांसीसी सरकार ने कट्टर इस्लाम के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था। कई कट्टरपंथी इस्लामिक नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की गई।
मस्जिदों पर ताला लगा दिया गया। फ्रांस को इस दौरान कई आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा। हमलों की बढ़ती संख्या के साथ ही फ्रांस कट्टर इस्लाम के खिलाफ अपने अभियान को गति देता चला गया। नतीजतन मुस्लिम देशों ने राष्ट्रपति मैक्रों पर ‘इस्लामोफ़ोबिक’ होने का आरोप लगाया। मुस्लिम देशों में फ्रेंच प्रोडक्ट्स का बहिष्कार होने लगा। पाकिस्तान में भी फ्रांस के खिलाफ गुस्सा व्याप्त था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मैक्रों के बयान को ‘इस्लाम पर हमला’ बता दिया। पाकिस्तान में मैक्रों के पुतले जलाए जाने लगे और फ्रेंच राजदूत को देश से निकालने की मांग उठने लगी। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन के बीच टीएलपी के नेताओं ने मस्जिदों से भड़काऊ भाषण दिए। उन्हें सुनने के लिए कार्यकर्ता लाठी और पत्थर लेकर आए।
उन्होंने लाहौर की ऑरेंज लाइन मेट्रो ट्रेन पर कब्जा किया और उसके ऊपर चढ़ गए। इसके बाद पुलिस पर काफी देर पत्थर फेंके गए। मंत्री शेख राशिद ने बताया कि यतीमखाना चौक के आसपास हालात अब भी तनाव भरे हैं। सरकार और टीएलपी में बातचीत नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में ईशनिंदा स्वीकार्य नहीं है, लेकिन हमें शांति और जीवित रहने के लिए ऐसे कदम उठाने पड़े हैं जिनके लिए हम मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं।
TLP ने क्यों भड़काए दंगे?
TLP ने फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से हटाने को लेकर 20 अप्रैल तक का वक्त दिया था। सरकार ने TLP के सबसे बड़े नेता साद हुसैन रिजवी को हाल ही में गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद पाकिस्तान में कई जगहों पर साद के समर्थन में लोग विरोध-प्रदर्शन करने लगे और धरने पर बैठ गए। रिपोर्ट्स की मानें तो इन प्रदर्शनों में कम से कम 3 लोग ने जान गंवाई। सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है।
साथ ही दंगा रोकने की कार्रवाई के दौरान हजारों लोगों को सलाखों के पीछे डालने की भी खबर है। कई रिपोर्ट्स में मरने वालों की संख्या 12 या इससे ज्यादा भी बताई गई है। इस हिंसा के बाद इमरान खान सरकार ने TLP पर बैन लगा दिया है।
पूरे मामले पर इमरान खान का ट्वीटः मैं यहां के लोगों और विदेशों में रहने वाले लोगों को एक चीज स्पष्ट कर देना चाहता हूं। हमारी सरकार ने TLP के खिलाफ आतंक-विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की, जब उन्होंने राज्य को चुनौती दी और सड़कों पर हिंसा की।
सरकारी अधिकारियों पर हमला किया। कोई भी कानून और संविधान से ऊपर नहीं हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों से कहा कि हम 130 करोड़ मुसलमानों के पैगंबर हमारे दिल में रहते हैं। उनके प्रति हम किसी तरह के अनादर और दुर्वव्यहार को बर्दाश्त नहीं कर सकते। पश्चिम के कुछ अतिदक्षिणपंथी राजनेता जानबूझकर ऐसा करते हैं। हम इन अतिवादियों से माफी की मांग करते हैं।