पाकिस्तान पर 2030 तक होगा इतना कर्ज, चीन की आर्थिक घेरेबंदी को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

By विकास कुमार | Published: February 20, 2019 04:39 PM2019-02-20T16:39:38+5:302019-02-20T17:13:42+5:30

CPEC प्रोजेक्ट और तमाम देशों से लिए गए कर्ज के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर 2030 तक कर्ज का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ जायेगा। आर्थिक विश्लेषकों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लेकर गहरी आशंका जताई है।

Pakistan economy is in dark and dependent on China, Saudi arab and UAE | पाकिस्तान पर 2030 तक होगा इतना कर्ज, चीन की आर्थिक घेरेबंदी को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

image source- Bloomberg

Highlights2030 तक पाकिस्तान के ऊपर चीन का 40 बिलियन डॉलर का कर्ज होगा.पाकिस्तान ने IMF से 12 बिलियन डॉलर का कर्ज मांगा है.

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इन दिनों चीन और सऊदी अरब के मेहरबानी पर टिकी हुई है। अपने सूखते विदेशी मुद्रा भंडार के बाद पाकिस्तान ने आईएमएफ का रूख किया था जहां उसने 12 अरब डॉलर की मांग रखी है। लेकिन आईएमएफ की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।

पाकिस्तान इसके समांनातर सऊदी अरब, यूएई और चीन से कर्ज लेने के तमाम कूटनीतिक दांव-पेंच अपना रहा है। सऊदी अरब ने हाल ही में पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर का आर्थिक मदद देने की घोषणा की थी, और अगले महीने तक चीन से भी पाकिस्तान को एक बड़ी राशि मिलने वाली है लेकिन चीन की मदद को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसके बाद पूरी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ही दांव पर लगी हुई है। 

रिपोर्ट में दावा 

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक पाकिस्तान के ऊपर चीन का 40 बिलियन डॉलर का कर्ज हो जायेगा, जिसे चुकाना पाकिस्तान के वश में नहीं होगा। सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान के ऊपर हर साल चीन का 3 बिलियन डॉलर कर्ज का चढ़ जायेगा जो अगले 30 साल में इन तमाम प्रोजेक्ट्स को पूरा करते-करते 90 बिलियन डॉलर का हो जायेगा। 

हाल के दिनों में चीन और पाकिस्तान का लव अफेयर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। सीपीईसी के तहत चीन पाकिस्तान में 62 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत आने वाली कुछ परियोजनाएं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से भी गुजर रही हैं जिसका भारत ने कड़ा विरोध जताया है। चीन पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को भी विकसित कर रहा है जिसके राजस्व पर चीन का हिस्सा 91 फीसदी होगा और बाकी 9 फीसदी ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी को मिलेगा।

चीन की साम्राज्यवादी नीतियां 

आर्थिक विश्लेषक ग्वादर का भविष्य भी श्रीलंका के हम्बनटोटा की तरह देख रहे हैं। हम्बनटोटा बंदरगाह को विकसित करने के लिए चीन ने श्रीलंका को एक अरब डॉलर का कर्ज दिया था जिसे न चूका पाने की स्थिति में श्रीलंका को अपना बंदरगाह चीन को सौपना पड़ा। हम्बनटोटा बंदरगाह के इर्द-गिर्द स्थित 15000 एकड़ की जमीन भी चीन को सौपनी पड़ी है जिसके कारण दुनिया के बाकी देश भी पाकिस्तान के ग्वादर की तुलना श्रीलंका के हम्बनटोटा से कर रहे हैं। 

पाकिस्तान भयंकर आर्थिक तंगहाली के दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार सूख चूका है और 9 अरब डॉलर के नीचले स्तर पर पहुँच चूका है। इस बीच देश के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आईएमएफ जाने की घोषणा की है। ये वही इमरान खान है जो अपनी चुनावी रैलियों में आईएमएफ जाने से पहले ख़ुदकुशी करने का एलान करते थे। पाकिस्तान ने आईएमएफ से 12 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है। लेकिन पाकिस्तान की परेशानियां ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं, अमेरिका ने आईएमएफ को पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले चेतावनी दी है। 

विदेशी कर्ज के भरोसे पाकिस्तान 

अमेरिका आईएमएफ का सबसे बड़ा अंशदाता है और आईएमएफ में कूल 18% वोट हैं। पाकिस्तान के सहयोगी चीन का कूल वोट 6।49 है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले चीन से ली हुई कर्जों का हिसाब मांगा है जिसके लिए पाकिस्तान तैयार हो गया है। अभी बातचीत जारी है और आईएमएफ पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले सभी पहलूओं की ठीक से जांच कर रहा है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को उससे अपनी मुद्रा की कीमत को भी कम करने को कहा है। 

पाकिस्तान का सूखता विदेशी मुद्रा भंडार 

चीन ने पाकिस्तान को दी हुई कूल कर्ज का दो तिहाई सात प्रतिशत की उच्च दर पर दिया है। सीपीईसी के तहत बनने वाले प्रोजेक्ट में जो निर्माण सामग्री लग रहे हैं उसका आयात भी पाकिस्तान को चीन से ही करना होता है। जिसके कारण पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सूखता जा रहा है और प्रधानमंत्री इमरान खान के मुताबिक पाकिस्तान के पास पहले से ली गयी कर्जों के व्याज चुकाने के लिए भी नया कर्ज लेना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान के पास तीन महीने के आयात भर ही पैसा बचा है जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था बदहवास स्थिति में पड़ी हुई है। पाकिस्तान ने आईएमएफ से कर्ज लेने से पहले मध्य-पूर्व के अपने सहयोगी सऊदी अरब से भी मदद की गुहार लगायी थी।

सऊदी अरब जाने से पहले इमरान खान को सऊदी स्थित इस्लामिक डेवलपमेन्ट बैंक से 2 अरब डॉलर का कर्ज प्राप्त किया था। लेकिन और मदद देने से पहले सऊदी अरब ने अपनी एक शर्त रख दी जिसके कारण पाकिस्तान को भी पीछे हटना पड़ा। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को यमन के युद्ध में शामिल होने का प्रस्ताव दिया जिसे पाकिस्तान ने खारिज कर दिया क्योंकि पाकिस्तान ईरान को नाराज नहीं करना चाहता था। लेकिन इमरान खान के बार-बार आग्रह के कारण सऊदी अरब ने फिर से पाकिस्तान को 6 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया, जिसके बाद इमरान खान ने भी वफादारी निभाते हुए आह्वान किया कि पाकिस्तान के रहते दुनिया का कोई भी देश सऊदी अरब को आंखें नहीं दिखा सकता। 

सीपीईसी के रास्ते चीन की आर्थिक घेरेबंदी 

चीन का प्रभुत्व जिस तरह से पाकिस्तान में बढ़ रहा है उसने दुनिया के बाकि देशों को चकित कर दिया है। सीपीईसी में अस्सी फीसदी पैसा चीन का लगा है जिसमें 40 प्रतिशत प्रोजेक्ट पूरे भी हो चुके हैं। पाकिस्तान चीन के कर्ज में बुरी तरह फंस चूका है जिसका खामियाजा देश को आने वाले दिनों में भुगतना पड़ सकता है। सीपीईसी प्रोजेक्ट्स के तहत जितने भी निर्माण कार्य चल रहे हैं, उनमें इस्तेमाल होने वाला निर्माण सामग्री और मशीनें चीन से ही आयात की जा रही हैं, जिसके कारण पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होता जा रहा है। यहीं नहीं पाकिस्तान चीन में अपने मजदूरों और लोगों के लिए ग्वादर शहर में एक कॉलोनी का निर्माण कर रहा है जहां केवल चीनी नागरिक ही रहेंगे। पाकिस्तान की संप्रभुता को जिनपिंग ने बीजिंग स्थित कम्युनिस्ट पार्टी की कार्यालय में कैद कर लिया है। 

एशिया के कई देश बन चुके हैं शिकार 

चीन एशिया, यूरोप और अफ्रीका को जोड़कर अपने सस्ते सामानों के लिए एक बड़ा बाजार बनाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन हाल के दिनों में चीनी मंशा को कई देशों ने भांप लिया है और चीनी प्रोजेक्ट को स्थगित कर रहे हैं। मलेशिया, थाईलैंड और कम्बोडिया ने कई प्रोजेक्ट रद्द किये हैं। पाकिस्तान की कूल अर्थव्यवस्था 300 अरब डॉलर की है और पाकिस्तान के ऊपर कूल विदेशी कर्ज 95 अरब डॉलर को पार कर चुकी है।

आनेवाले दिनों में पाकिस्तान का ऊपर चीन का बेशुमार कर्ज होगा क्योंकि चीन ने पाकिस्तान को छोटी अवधि के कर्ज दिए हैं जिसके कारण बहुत जल्द पाकिस्तान उन कर्जों के लपेटे में होगा। चीन अमेरिका को पछाड़कर विश्व शक्ति बनने के लिए बेताब है जिसके कारण उसने छोटे देशों और खासकर जिनकी अर्थव्यवस्था कमजोर है उनको कर्ज देकर अपनी आधुनिक साम्राज्यवाद की नीति को सफल बनाना चाहता है जिसका सबसे नया शिकार पाकिस्तान है।  

Web Title: Pakistan economy is in dark and dependent on China, Saudi arab and UAE

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे