ओल्गा टोकारजुक बनीं साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली 15वीं महिला, कभी मिली थी जान से मारने की धमकी

By भाषा | Published: October 10, 2019 07:02 PM2019-10-10T19:02:20+5:302019-10-10T19:02:20+5:30

ओल्गा एक ऐसी लेखिका हैं जो एक राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं और कई बार अपने बयानों के लिए विवादों में रही हैं। वे 57 साल की हैं। ओल्गा शाकाहारी, जानवरों से प्रेम करने वाली और पर्यावरणविद हैं।

Nobel Prize: Olga Tokarczuk Wins 2018 Nobel For Literature becomes 15th women to win Nobel in Literature | ओल्गा टोकारजुक बनीं साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली 15वीं महिला, कभी मिली थी जान से मारने की धमकी

ओल्गा टोकारजुक को मिला 2018 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार

Highlightsओल्गा ने एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिखी हैं, 29 जनवरी 1962 को हुआ जन्मओल्गा को पोलैंड में इस पीढ़ी की सबसे प्रतिभा संपन्न उपान्यसकारों में से एक माना जाता हैकई बार अपने बयानों के लिए विवादों में भी रही हैं ओल्गा

वर्षों से नोबेल पुरस्कारों को लेकर दुनियाभर में यह बात कहीं जा रही थी कि ये पुरस्कार ‘पुरुष केंद्रित’ हैं। 2018 के साहित्य पुरस्कार की घोषणा के साथ स्वीडिश अकेडमी इस शिकायत को दूर करती हुई नजर आई है। साहित्य में 2018 का नोबेल पुरस्कार पौलैंड की लेखिका ओल्गा टोकारजुक को दिए जाने की घोषणा की गई है। ओल्गा एक ऐसी लेखिका हैं जो एक राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं और कई बार अपने बयानों के लिए विवादों में रही हैं।

साल 2015 में उन्होंने सरकारी मीडिया पर यह बयान दिया था कि मुक्त और सहिष्णु पोलैंड एक कल्पना है। इसको लेकर भी उन्हें जान से मारने की धमकी मिली थी। उनके प्रकाशक उनकी सुरक्षा के लिए कई तरह के कदम उठाते रहे हैं। ओल्गा को पोलैंड में इस पीढ़ी की सबसे प्रतिभा संपन्न उपान्यसकारों में से एक माना जाता है। उनके हिस्से में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों के नाम भी हैं।

उनकी लेखनी की बात करें तो उनमें एक ही साथ यथार्थ और कल्पना का गठजोड़ मौजूद है। ओल्गा शाकाहारी, जानवरों से प्रेम करने वाली और पर्यावरणविद हैं। 57 वर्षीय लेखिका पोलैंड की दक्षिणी पंथी सरकार की आलोचना करने से भी पीछे नहीं हटती हैं। ओल्गा की किताबें एक ऐसी रंग-बिरंगी दुनिया गढ़ती है जो निरंतर गति में है, जिसके पात्र और किरदार आपस में एक-दूसरे से जुड़े हैं। इन सभी चीजों को गढ़ने के दौरान ओल्गा एक ऐसी भाषा का इस्तेमाल करती हैं जिसमें संक्षेप में बड़ी बातें कही जाती है।

यही नहीं उनकी भाषा में एक लय है, एक काव्यात्मकता है। द पोलिश बुक इंस्टीट्यूट के साथ साक्षात्कार में ओल्गा ने कहा, 'मेरे पास कोई ऐसी मेरी आत्मकथा नहीं है जिसे मैं दिलचस्प तरीके से याद कर सकती हूं। मैं उन किरदारों से बनी हुई हूं जो मेरे दिलो-दिमाग से उपजे हैं, जिन्हें मैंने गढ़ा है।' 

उन्होंने कहा, 'मैं उन सभी चीजों से बनी हुई हूं। मेरे पास बहुरंगी आत्मकथा है।' ओल्गा ने एक दर्जन से अधिक किताबें लिखी हैं और ब्रिटेन के प्रतिष्ठित मैन बुकर पुरस्कार से उन्हें पिछले साल ही सम्मानित किया गया है। उन्हें पोलैंड के प्रतिष्ठित पुरस्कार नाइक लिटरेरी पुरस्कार से भी दो बार सम्मानित किया जा चुका है। लेखिका की किताबों का नाट्य रूपांतरण भी हुआ है और हिंदी सहित 25 अन्य भाषाओं में उनकी किताबों का अनुवाद हुआ है।

ओल्गा का जन्म 29 जनवरी, 1962 में सुलेस्चोव में हुआ और उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ वारसा से मनोविज्ञान की पढ़ाई की है। वह साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली 15वीं महिला हैं।

गद्य की दुनिया में आने से पहले ओल्गा ने कविताएं भी लिखी हैं। ओल्गा का पहला उपन्यास ‘ द जर्नी ऑफ द पीपल ऑफ द बुक्र 1993 में आया था। 2017 में अंग्रेजी में आई उनकी किताब ‘फ्लाइट्स’ मूल भाषा में 2007 में आई थी। उनकी 900 पन्नों की किताब ‘ द बुक्स ऑफ जैकब’ का विस्तार सात देशों, तीन धर्मों और पांच भाषाओं में है।

यह किताब 2014 में आई है। इबरानी (हिब्रू) किताबों की तरह इसके पन्नों का क्रमांक किया गया है। भले ही इस किताब की बिक्री खूब हुई हो लेकिन इसे पोलैंड के राष्ट्रवादी सर्किल में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। किताबों के अलावा ओल्गा ने पोलैंड की क्राइम फिल्म ‘स्पूर’ के लिए सह पटकथा लेखन भी किया है।

Web Title: Nobel Prize: Olga Tokarczuk Wins 2018 Nobel For Literature becomes 15th women to win Nobel in Literature

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