भारत के लिए राहत की खबर, युद्धग्रस्त यूक्रेन ने शुरू किया अनाज का निर्यात, भारत को 76 फीसदी सूर्यमुखी तेल का निर्यात करता है यूक्रेन
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 1, 2022 06:35 PM2022-08-01T18:35:45+5:302022-08-01T18:39:59+5:30
वैश्विक बाजार में फिर से अनाज निर्यात को शुरू कर रहे युद्धग्रस्त यूक्रेन ने कहा कि वह अपनी पूरी ताकत लगाकर खाद्य संकट से जूझ रहे विश्व की मदद करना चाहता है।
कीव: युद्धग्रस्त यूक्रेन की जनता के लिए आज बेहद खुशी का दिन है क्योंकि बीते कई महीनों से युद्ध का दंश झेल रहे यूक्रेन ने ओडेसा पोर्ट से तुर्की के लिए भेजे अनाज के पहले शिपमेंट को सफलतापूर्वक डिलीवर करा दिया है। यूक्रेन से अनाज पहुंचने की पुष्टि स्वयं तुर्की के रक्षा मंत्रालय की ओर से की गई है।
इस मामले में तुर्की की ओर से बयान जारी करते हुए कहा गया है कि अनाज के साथ अन्य शिपमेंट को लेकर भी प्रोसेस पूरा हो चुका है। कुछ समय में बचे हुए अन्य शिपमेंट्स की भी डिलीवरी हो जाएगी। तुर्की की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि यूक्रेन से भेजे गये पहले शिपमेंट में लगभग 26 हजार टन कार्न आया है।
वहीं इस मामले में यूक्रेन का कहना है कि कि यूक्रेन अपनी पूरी ताकत लगाकर खाद्य संकट से जूझ रहे विश्व के देशों की मदद करना चाहता है। पहली शिपमेंट पहुंचने के बाद तुर्की और यूक्रेन के उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी युद्ध के कारण यूक्रेन को अनाज के शिपमेंट को भेजने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
दरअसल यूक्रेन के लिए तुर्की को अनाज भेजना इसलिए आसान हो पाया क्योंकि इस संबंध में रूस और यूक्रेन के बीच पिछले महीने ही समझौता हुआ था। युद्धरत दोनों देशों के इस समझौते में बतौर गवाह संयुक्त राष्ट्र और तुर्की भी शामिल थे। तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में हुए समझौते के अनुसार रूस ने यूक्रेन को विश्व के अन्य देशों को अनाज निर्यात को सुरक्षित रास्ता देने की मांग स्वीकार कर ली थी।
रूस ने कहा था कि उसकी सेना ओडेसा पोर्ट और उसके आसपास किसी भी सैन्य हमला नहीं करेगी। वहीं दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच अनाज को लेकर हुए इस शांति संधि पर संयुक्त राष्ट्र सहित विश्व के तमाम देशों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच हुए इस समझौते के कारण दुनिया में फैले खाद्य संकट पर काबू पाया जा सकेगा।
मालूम हो कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूक्रेन में लाखों टन अनाज गोदामों में सड़ रहा है। इस कारण दुनिया में कई देशों में भारी खाद्यान संकट पैदा हो गया था। यूद्धग्रस्त यूक्रेन चाहते हुए विश्व के देशों के खाद्यान का निर्यात नहीं कर पा रहा था। वैश्विक खाद्यान संकट को देखते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र और तुर्की से मदद मांगी।
तुर्की और यूएन के प्रयासों से रूस और यूक्रेन के बीच समझौता हो भी गया। लेकिन समझौते के अगले दिन रूस ने ओडेसा में यूक्रेन के हथियार डिपो पर मिसाइलों से हमला कर दिया। जिसके बाद यूएन और तुर्की ने रूस के सामने समझौते की स्थिति को लेकर प्रश्न उठाया, जिसके बाद रूस ने सफाई देते हुए कहा कि उसने ये हमला केवल यूक्रेन के हथियार डिपो को निशाना बनाते हुए किया है और उनका इरादा यूक्रेन के अनाज को नुकसान पहुंचाने का नहीं था।
यूक्रेन द्वारा खाद्यान निर्यात शुरू किये जाने से भारत को भी बड़ी राहत मिली है क्योंकि भारत सूर्यमुखी तेल के लिए यूक्रेन पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है। मालूम हो कि वैश्विक बाजार में यूक्रेन करीब 42 फीसदी सूर्यमुखी तेल का निर्यात करता है। वहीं अगर हम भारत की बात करें तो यूक्रेन करीब 76 फीसद सूर्यमुखी तेल का निर्यात यूक्रेन से करता है।