लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा विवाद: भारत की जमीन को अपना बताने वाले बिल पर नेपाल की राष्ट्रपति ने किए दस्तखत, बना संविधान का हिस्सा
By सतीश कुमार सिंह | Published: June 18, 2020 07:12 PM2020-06-18T19:12:57+5:302020-06-18T20:03:40+5:30
काठमांडूः भारत के कड़े विरोध के बावजूद नेपाल की संसद ने उस नए राजनीतिक नक्शे को अद्यतन करने के लिए संविधान में बृहस्पतिवार को संशोधन कर दिया, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत के तीन क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
इस बीच नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भारत की जमीन को अपना बताने वाले बिल पर दस्तखत कर दिए। इसके साथ ही यह कानून संविधान का हिस्सा बन गया। भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के तौर पर दर्शाया गया है।
गुरुवार को नेपाली संसद के ऊपरी सदन यानी नेशनल असेम्बली ने संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके बाद नेपाल के राष्ट्रीय प्रतीक में नक्शे को बदलने का रास्ता साफ हो गया है। सभी 57 मौजूद सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया।
नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने बृहस्पतिवार को देश के नये राजनीतिक नक्शे को बदलने वाले संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए जिसमें रणनीतिक महत्व वाले तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है। कुछ समय पहले ही भारत के विरोध के बावजूद नेपाल की संसद ने इसे मंजूरी प्रदान की थी।
हिमालयन टाइम्स की खबर के अनुसार राष्ट्रपति भंडारी ने नेपाल के संविधान दूसरा संशोधन विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी। अखबार ने लिखा, ‘‘उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 274 (10) में संशोधन वाले विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके साथ नये नक्शे को लागू करने की प्रक्रिया आधिकारिक रूप से पूरी हो गई है।’’
नेपाल की ‘कोट ऑफ आर्म्स’ अब नये नक्शे में लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी क्षेत्रों को शामिल करेगी। भारत ने इन क्षेत्रों पर नेपाल के दावे को अस्वीकार्य और कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर रखा गया बताया है। नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी किया था। नेपाली संसद के निचले सदन के बाद आज उच्च सदन ने भी संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान कर दी।
भारत-नेपाल के बीच बढ़ा तनाव
दोनों देशों के संबंधों में तनाव उस समय आ गया जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का आठ मई को उद्घाटन किया था। नेपाल ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उसने कुछ दिन बाद देश का नया राजनीतिक नक्शा पेश किया जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्रों को अपने भूभाग में दिखाया गया है।
केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली कम्यूनिस्ट सरकार ने शनिवार को इस नए नक्शे को संसद के निचले सदन से सर्वसम्मति से पारित करा लिया था। वहीं भारत ने कड़े शब्दों में स्पष्ट कर दिया था कि “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश किए गए क्षेत्रीय दावे स्वीकार करने योग्य नहीं हैं। भारत ने इस कदम का सख्त विरोध करते हुए इसे स्वीकार करने योग्य नहीं बताया था।
Nepal President Bidhya Devi Bhandari ratifies Constitution Amendment Bill for changing the map of Nepal to include Kalapani, Lipulekh and Limpiyadhura. pic.twitter.com/EvQOmNFj6H
— ANI (@ANI) June 18, 2020
भारत ने नेपाल के मानचित्र में बदलाव करने और कुछ भारतीय क्षेत्रों को उसमें शामिल करने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को नेपाली संसद के निचले सदन में पारित किए जाने पर शनिवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि यह ‘‘कृत्रिम विस्तार’’ साक्ष्य एवं ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह ‘‘मान्य नहीं’’ है । भारत ने नवंबर 2019 में एक नया नक्शा जारी किया था, जिसके करीब छह महीने बाद नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था।
नेपाली संसद के ऊपरी सदन यानी नेशनल असेम्बली ने संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके बाद नेपाल के राष्ट्रीय प्रतीक में नक्शे को बदलने का रास्ता साफ हो गया है। नेपाली संसद के ऊपरी सदन में संविधान संशोधन विधेयक रविवार को पेश किया गया था। इससे एक दिन पहले निचले सदन से इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया था। ऊपरी सदन में मौजूद सभी 57 मौजूद सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया। नेशनल असेम्बली के सभापति गणेश तिमिलसिना ने बताया कि सभी 57 सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया।
विधेयक के खिलाफ कोई मत नहीं पड़ा और किसी भी सदस्य ने तटस्थ श्रेणी के लिए मतदान नहीं किया
उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक के खिलाफ कोई मत नहीं पड़ा और किसी भी सदस्य ने तटस्थ श्रेणी के लिए मतदान नहीं किया।’’ अब विधेयक को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास भेजा जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद इसे संविधान में शामिल कर लिया जाएगा। इसके बाद सभी आधिकारिक दस्तावेजों में नए नक्शे का इस्तेमाल किया जाएगा। कैबिनेट ने 18 मई को नए राजनीतिक नक्शे का अनुमोदन किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार को कहा था, ‘‘ हमने इस बात पर गौर किया है कि नेपाल ने मानचित्र में बदलाव करते हुए कुछ भारतीय क्षेत्रों को इसमें शामिल करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित किया है। हमने पहले ही इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है । ’’
Nepal: The New Map Amendment Bill (Coat of Arms) proposes change in the map of Nepal to include parts of Indian territory. https://t.co/lFhn6BW2DW
— ANI (@ANI) June 18, 2020
उन्होंने कहा था कि दावों के तहत कृत्रिम रूप से विस्तार, साक्ष्य और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह मान्य नहीं है। प्रवक्ता ने कहा था, ‘‘ यह लंबित सीमा मुद्दों का बातचीत के जरिये समाधान निकालने के संबंध में बनी हमारी आपसी सहमति का भी उल्लंघन है । ’’ नेपाल के संशोधित नक्शे में भारत की सीमा से लगे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा इलाकों पर दावा किया गया है।
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव पैदा हो गया था, जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया था कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया था कि यह सड़क पूरी तरह उसके भू-भाग में स्थित है। काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे।
इनपुट भाषा से