भारत के साथ सीमा विवाद पर नेपाल के पीएम ओली ने कहा- 'अपनी जमीन लेकर रहेंगे भले ही कोई नाराज हो जाए'
By प्रिया कुमारी | Published: May 20, 2020 12:02 PM2020-05-20T12:02:31+5:302020-05-20T12:02:31+5:30
नेपाल ने नेपाल उत्तराखंड के लिपुलेख कालापानी, और लिम्पियाधुरा पर अपना हिस्सा बताता है। नेपाल ने एक नया नक्शा तैयार किया है जिसमें, लिपुलेख, कालापानी, और लिम्पियाधुरा शामिल किया गया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने कहा है कि कालापानी-लिपुलेख और लिम्पियाधुरा नेपाल-भारत से संबंधित है और इसे किसी भी कीमत पर नेपाल के नक्शे में शामिल किया जाएगा। हाल ही में भारत ने लिपुलेख में कैलाश मानसरोवर रोड लिंक का उद्घाटन किया था, जिसको लेकर नेपाल ने ऐतराज जताया था। नेपाल उत्तराखंड के लिपुलेख कालापानी, और लिम्पियाधुरा पर अपना हिस्सा बताता है। नेपाल ने एक नया नक्शा तैयार किया है जिसमें, लिपुलेख, कालापानी, और लिम्पियाधुरा शामिल किया गया है।
नक्शे को सोमवार को कैबिनेट की मंजूरी भी दे दी गई है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि नेपाल राजनीतिक एवं कूटनीतिक प्रयासों के जरिए इस पाने की कोशिश करेंगे भले ही इसके लिए कोई नाराज हो जाए हमें इसकी चिंता नहीं है, अब ये मामला शांत नहीं रहेगा। हमारी जमीन पर किसी भी किमत पर दावा पेश कर के रहेंगे। नेपाल के पीएम ने आगे कहा, ऐतिहासिक गलतफहमियों को खत्म करने का विचार भारत के साथ दोस्ती गहरी करने के लिए ही
ये बात उन्होंने संसद में कही। संसद को मंगलवार संबोधित करते हुए ओली ने कहा कि ये क्षेत्र नेपाल से संबंधित हैं लेकिन भारत ने वहां सेना को लाकर इसके विवादित क्षेत्र बना दिया है। उन्होंने कहा भारत द्वारा वहां पर सेना की तैनाती के बाद नेपालियों को वहां जाने से रोका जा रहा।भारत ने 1962 से कालापानी में अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है और पूर्व में हमारे शासकों ने मुद्दा उठाने में संकोच किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि नेपाल सरकार राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों के जरिए क्षेत्र पर दावा करेगी
विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा है कि भूमि प्रबंधन मंत्रालय द्वारा जल्द ही नेपाल के आधिकारिक मानचित्र को सार्वजनिक किया जाएगा। इस घोषणा से कुछ हफ्ते पहले उन्होंने कहा था कि कूटनीतिक पहलों के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं। नेपाल की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सांसदों ने भी लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को लौटाने की मांग के संबंध में संसद में एक विशेष प्रस्ताव पेश किया है।