नेपाल न्यायालय ने भारत को रेत और बजरी का निर्यात करने के खिलाफ अंतरिम आदेश दिया
By भाषा | Published: June 18, 2021 10:27 PM2021-06-18T22:27:09+5:302021-06-18T22:27:09+5:30
(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, 18 जून व्यापार घाटा कम करने के उद्देश्य से नेपाल सरकार द्वारा भारत को रेत और बजरी का निर्यात करने के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को यहां के उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित किया। न्यायालय ने यह आदेश पर्यावरणविदों और विपक्षी नेताओं द्वारा इस कदम से पर्यावरण पर पड़ने वाले गंभीर असर को लेकर जताई की गई चिंता के बाद दिया।
प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र एसजेबी राणा, न्यायमूर्ति मीरा खडका, न्यायमूर्ति हरी कृष्ण कर्की और न्यायमूर्ति विश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ की संयुक्त पीठ ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार से कहा कि वह मामले में अंतिम निर्णय आने तक निर्यात के लिए रेत, बजरी और पत्थर के खनन की नीति को लागू नहीं करे।
गौरतबल है कि वित्तमंत्री विष्णु पाउडेल ने वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश करते हुए घोषणा की थी कि सरकार इन वस्तुओं का निर्यात देश का व्यापार घाटा कम करने के लिए करेगी।
इस समय नेपाल से रेत, पत्थर और बजरी के निर्यात पर रोक है। नेपाल की विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार के रेत और बजरी निर्यात करने के फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई थी। पर्यावरणविदों ने भी चेतावनी दी थी कि इस फैसले के देश के पर्यावरण पर गंभीर असर होंगे।
पिछले सप्ताह पांच पूर्व प्रधानमंत्रियों- शेर बहादुर देउबा, पुष्प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनाल और बाबूराम भट्टाराई- ने भी रेत और बजरी भारत को निर्यात करने के सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी।
रिट याचिका दायर करने वालों में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि सरकार का फैसला संविधान के अनुच्छेद-30 (पर्यावरण से जुड़ा) और 51(राज्य की नीतियों से जुड़ा) का उल्लंघन करता है।
न्यायालय ने सरकार से 15 दिनों के भीतर इस नीति के पीछे के कारणों से भी अवगत कराने को कहा है।
बता दें कि संसद का निम्न सदन भंग कर दिया गया है और कार्यवाहक सरकार ने अध्यादेश के जरिये बजट पेश किया है।
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