जानिए लंदन हमले के आतंकी को ढेर करने वाले भारतीय मूल के अधिकारी नील बसु कौन हैं, जिन्हें करना पड़ा था नस्लवाद का सामना
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 1, 2019 01:49 PM2019-12-01T13:49:47+5:302019-12-01T14:26:56+5:30
बसु के पिता 40 साल तक यूके पुलिस के सर्जन रहे थे। यही वजह था कि नील ने भी अपना कैरियर पुलिस सेवा में ही बनाने का फैसला किया। हालांकि, उनके पिता चाहते थे कि वे एक बैंकर या वकील बनें।
लंदन ब्रिज पर चाकूबाजी करने वाले आतंकी उस्मान खान को ढेर करने वाली पुलिस टीम का नेतृत्व करने वाले मेट्रोपोलिटियन पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर अनिल कांति 'नील' बसु के पिता पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि अर्थशास्त्र से ग्रैजुएट करने के बाद बसु ने एक बैंक में भी काम किया। इसके बाद उन्होंने मेट्रोपोलिटियन पुलिस में अधिकारी पद के लिए परीक्षा दी और पास होने के बाद बतौर अधिकारी मेट्रोपोलिटियन पुलिस को ज्वॉइन कर लिया।
यूके ब्रिज के घटना में आतंकी को मार गिराने वाली टीम के शीर्ष पुलिस अधिकारी नील ब्रिटेन में नस्लवाद के शिकार थे। अनिल कांति नील बसु, शीर्ष ब्रिटिश काउंटर-टेरर पुलिस के शीर्ष अधिकारी हैं। बसु लंदन ब्रिज की घटना के बाद एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गए हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस के सहायक आयुक्त, जिसे स्कॉटलैंड यार्ड या यार्ड के रूप में भी जाना जाता है।
बसु के पिता 40 साल तक यूके पुलिस के सर्जन रहे थे। यही वजह था कि नील ने भी अपना कैरियर पुलिस सेवा में ही बनाने को तय किया। हालांकि, उनके पिता चाहते थे कि वे एक बैंकर या वकील बनें।
खबरों की मानें तो यूके में पैदा होने के बाद आरामदायक बचपन बीतने के बावजूद आगे चलकर बसु और उनके दो भाईयों को नस्लवाद अधारित भेदभाव का सामना करना पड़ा। यही नहीं खबरों की मानें तो उनके माता-पिता को भी ब्रिटेन में नस्ल अधारित भेदभाव का सामना करना पड़ा था।
नील अपने साक्षात्कार में कहा, "मेरे माता-पिता एक मिश्रित नस्ल के दंपति थे, इसलिए उनको उत्तर वेल्स की सड़कों पर दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा पत्थर मार दिया जाता था। हालांकि, मेरे पिता ने इन सबके बावजूद समर्पित भाव से डॉक्टर के रूप में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ब्रिटेन में 90 साल अपने योगदान दिए। ”
इस साल की शुरुआत में गृह मामलों की चयन समिति में संसद सदस्यों के लिए अपने एक संबोधन में, बसु ने कहा था कि उन्होंने अपना जीवन "नस्लवाद" से जुझने में बिताया है। वह मूल रूप से बतौर पुलिस अधिकारी सांसदों के समूह के एक विवादास्पद प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे, जिसने इस्लामोफोबिया को नस्लवाद के रूप में परिभाषित किया था।
बसु ने समिति को बताया, '' मैंने जातिवाद से निपटने में 51 साल बिताए हैं और जातिवाद की बड़ी मात्रा मैंने अपने जीवन में झेली है। इसलिए, मैं समझता हूं कि किसी भी घटना को किसी समुदाय से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।"
आपको बता दें कि बसु को लेकर सोशल मीडिया पर रातोंरात छा गए हैं। लोग उन्हें भारतीय जड़ों से और आतंकी को पाकिस्तानी मूल सो जोड़ कर देख रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि लंदन ब्रिज पर हमला में दो तरह के देश, दो तरह के अप्रवासी हैं। एक पाकिस्तानी उस्मान खान है जो एक आतंकवादी है।वहीं, दूसरा नील बसु, जिनके पिता भारत से हैं और जिन्होंने ऑपरेशन का नेतृत्व करते हुए खान को मौत के घाट उतार दिया।