संकट में नेपाल के पीएम की कुर्सी, केपी शर्मा ओली का राजनीतिक भविष्य तय करने के लिए होने वाली एनसीपी की बैठक फिर टली
By भाषा | Published: July 9, 2020 05:32 AM2020-07-09T05:32:54+5:302020-07-09T05:32:54+5:30
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की 45 सदस्यीय शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक बुधवार को होनी थी। अब यह शुक्रवार को होगी । प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने बैठक के शुक्रवार तक स्थगित होने की घोषणा की।
काठमांडूः नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की बुधवार को होने वाली अहम बैठक एक बार फिर टल गई है जिसमें प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के राजनीतिक भविष्य पर फैसला होना था। अब यह बैठक शुक्रवार को होगी। पार्टी के अंदर बढ़ते मतभेद और ओली के भारत विरोधी बयानों के बीच पार्टी के शीर्ष नेताओं को सत्ता साझेदारी संबंधी समझौते पर पहुंचने के लिए और समय की जरूरत को देखते हुए बैठक टाली गई है। ओली की कार्यशैली के चलते उनके इस्तीफे की मांग उठ रही है। पार्टी के धड़ों में से एक की अगुवाई ओली कर रहे हैं तथा दूसरे धड़े के नेता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ हैं।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की 45 सदस्यीय शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक बुधवार को होनी थी। अब यह शुक्रवार को होगी । प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने बैठक के शुक्रवार तक स्थगित होने की घोषणा की। अब शुक्रवार को प्रधानमंत्री ओली (68) के राजनीतिक भविष्य पर फैसला हो सकता है। इस बीच ओली का पद बचाने के लिए चीनी राजदूत होउ यांकी की संलिप्तता बढ़ गई है।
यांकी ने उन्हें बचाने के लिए सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ मंगलवार को संवाद तेज कर दिया। एनसीपी में ओली और प्रचंड गुटों के बीच मनमुटाव तब और तेज हो गया जब प्रधानमंत्री ने बृहस्पतिवार को संसद के बजट सत्र का अवसान करने का एकतरफा निर्णय लिया। प्रचंड गुट प्रधानमंत्री पद से ओली के इस्तीफे की मांग कर रहा है। इस गुट ने उनसे प्रधानमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष दोनों ही पदों से इस्तीफा मांगा है लेकिन ओली कोई भी पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
पूर्व पीएम माधव कुमार नेपाल प्रचंड खेमे के साथ
पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल भी प्रचंड खेमे के साथ हैं और ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ओली के हाल के भारत विरोधी बयान ‘न तो राजनीतिक रूप से सही हैं और न ही कूटनीतिक तौर पर उचित’। माई रिपब्लिका अखबार के मुताबिक, अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए ओली और प्रचंड ने कई दौर की बातचीत की है। पिछले सप्ताह शुक्रवार को दोनों ने दो घंटे तक बातचीत की थी। उन्होंने मतभेदों को दूर करने के लिए सोमवार और मंगलवार को भी आमने-सामने बैठकर बात की। सूत्रों ने बताया कि उनकी मुलाकात ‘सकारात्मक माहौल’ में समाप्त हुई।
चीनी राजदूत ने माधव कुमार नेपाल से की थी मुलाकात
हिमालय टाइम्स ने खबर दी है कि प्रधानमंत्री के आवास पर बुधवार को दोनो नेताओं ने बातचीत के लिए फिर मुलाकात की। दूसरी ओर रविवार को चीनी राजदूत होउ ने वरिष्ठ एनसीपी नेता माधव कुमार नेपाल से मुलाकात की थी और वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की थी। उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की थी। चीनी राजदूत ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री खनल से भी मुलाकात की। यह पहली बार नहीं है कि चीनी राजदूत ने संकट के समय नेपाल के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप किया है। करीब डेढ़ महीने पहले जब एनसीपी की अंदरूनी कलह शीर्ष पर पहुंच गयी थी तब होउ ने राष्ट्रपति भंडारी, प्रधानमंत्री ओली तथा एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड एवं माधव नेपाल के साथ अलग अलग बैठकें की थी।
मतभेद चरम पर हैं
सत्तारूढ़ पार्टी में मतभेद चरम पर हैं क्योंकि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर अड़े हैं। कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने चीनी राजदूत की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के साथ मुलाकालों को नेपाल के अंदरूनी राजनीतिक मामलों में दखल बताया है। स्थायी समिति के सदस्य गणेश शाह ने कहा कि सीपीएन-यूएमएल और माओइस्ट सेंटर के एकीकरण की प्रक्रिया दो साल पहले शुरू होने के बाद से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत के पालन की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर ओली दोनों मे से एक पद छोड़ देते हैं तो मौजूदा संकट का समाधान मिल सकता है।