बाइडन-जिनपिंग की फोनवार्ता के बाद नैन्सी पेलोसी ने एशिया यात्रा की पुष्टि की लेकिन ताइवान का जिक्र नहीं
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 31, 2022 06:41 PM2022-07-31T18:41:52+5:302022-07-31T18:48:19+5:30
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया था कि उसे कम करने के लिए बीते गुरुवार को चीन और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों को टेलिफोन वार्ता करनी पड़ी थी।
बीजिंग: ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच चल रही जुबानी जंग को उस समय राहत मिली जब अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने अपनी एशिया यात्रा की पुष्टि की लेकिन उन्होंने ताइवान का जिक्र नहीं किया। पेलोसी ने रविवार को कहा कि वह इस सप्ताह चार एशियाई देशों का दौरा करेंगी लेकिन उनके बातचीत में ताइवान का नाम नहीं लिया गया, जिससे संभावना जताई जा रही है कि चीन के दबाव में अमेरिकी प्रशासन ने नैन्सी पेलोसी के प्रस्तावित ताइवान दौरे पर ब्रेक लगा दिया है।
दरअसल पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया था कि उसे कम करने के लिए बीते गुरुवार को चीन और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों को टेलिफोन पर वार्ता करनी पड़ी थी। उस वार्ता में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से पेलोसी की यात्रा को लेकर आपत्ति जताते हुए इसे चीन की आंतरिक मामले में दखलंदाजी बताया था।
इसके बाद से ही बाइडन प्रशासन पेलोसी की संभावित ताइवान यात्रा को लेकर असमंजस की स्थिति में था। अमेरिका को डर है कि कहीं नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के कारण अमेरिका और चीन के बीच बिगड़े हुए रिश्ते और न उलझ जाएं।
इन्हीं हालातों के बीच पेलोसी ने एक बयान जारी करके कहा है कि वो व्यापार, कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा और "लोकतांत्रिक शासन" पर चर्चा करने के लिए सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान जाने वाले कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं। हालांकि पेलोसी ने अपने बयान में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया कि वो ताइवान भी जा सकती हैं।
दरअसल इस बदलते घटनाक्रम के पीछे माना जा रहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा पेलोसी की ताइवान यात्रा के संबंध में दर्ज कराये गये कड़े प्रतिरोध के कारण अमेरिकी प्रशासन पेलोसी की यात्रा से रोक रहा है। गुरुवार को शी जिनपिंग ने अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन के साथ हुई फोनवार्ता के दौरान इस संबंध में बीजिंग की चिंता से अवगत करा दिया गया था।
बीजिंग का स्पष्ट मानना है कि ताइवान के साथ आधिकारिक अमेरिकी संपर्क उसकी वास्तविक स्वतंत्रता को स्थायी बनाने के लिए एक प्रोत्साहन देने का काम कर रहे हैं, जो चीन की संप्रभुता के खिलाफ है।
चीन का कहना है कि वो अमेरिकी नेताओं के ऐसे किसी कदम की सराहना नहीं करता है, जो ताइवान को भड़काने का काम करता हो। मालूम हो कि नैंसी पेलोसी अमेरिकी सरकार की तीन शाखाओं में से एक की प्रमुख है और अगर वो इन बवालों के बाद भी ताइवान की यात्रा करती हैं तो साल 1997 में तत्कालीन स्पीकर न्यूट गिंगरिच के बाद वो दूसरी अमेरिकी स्पीकर होंगी, जो चीन के विरोध के बावजूद ताइवान की यात्रा करेंगी।
वहीं चीन के आक्रामक तेवर को देखते हुए बाइडेन प्रशासन ने स्पष्ट रूप से पेलोसी से अपील की है कि वो ताइवान की यात्रा से बचें लेकिन अगर उसके बाद भी पेलोसी ताइवान की यात्रा करती हैं तो इसका सीधा आशय होगा कि अमेरिका चीन के प्रति अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा है।