मालदीव में हुआ सत्ता परिवर्तन, चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति को इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने हराया
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: September 24, 2018 08:37 AM2018-09-24T08:37:08+5:302018-09-24T08:52:47+5:30
Maldives Presidential Election Updates:मालदीव के चुनाव के नतीजों को भारत के लिए बेहतर कहे जा सकते हैं क्योंकि अब्दुल्ला यामीन चीन की ओर झुकाव रखते थे इससे अब भारत को भविष्य में कुछ अच्छे की उम्मीद जरूर हो गई है।
नई दिल्ली, 24 सितंबर: मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव के नजीते आ गए हैं और इस मतदान में विपक्ष को भारी मतदान से बहुमत हासिल हुआ है।यामीन प्रशासन अनुचित तरीकों जैसे कि चुनाव में गड़बड़ी हो रही है, का सहारा लिया। लेकिन नतीजों ने फिलहाल हर किसी को हैरान कर दिया है। रविवार को घोषित हुए चुनाव परिणाम में उन्होंने मौजदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का हरा दिया है।
मालदीव के चुनाव के नतीजों को भारत के लिए बेहतर कहे जा सकते हैं क्योंकि अब्दुल्ला यामीन चीन की ओर झुकाव रखते थे इससे अब भारत को भविष्य में कुछ अच्छे की उम्मीद जरूर हो गई है। सोलिह को कुल 92 फीसदी वोट में से 58.3 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। जीत के बाद सोलिह ने कहा कि यह खुशी उम्मीद और इतिहास का पल है, मैं अपील करता हूं कि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपर्वक हो। रविवार को हुए चुनाव में मालदीव के 4 लाख नागरिकों में से 2.60 लाख से ज्यादा लोगों ने वोट किया था।
Welcome successful completion of Presidential election process in Maldives which, according to preliminary info, Ibrahim Mohamed Solih won. We heartily congratulate him on his victory and hope that the Election Commission will officially confirm the result at the earliest: MEA
— ANI (@ANI) September 24, 2018
पर्यवेक्षकों को निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं
मालदीव में रविवार को राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में मतदान हो रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों एवं विपक्ष को आशंका है कि चीन के वफादार माने जाने वाले ताकतवर नेता अब्दुल्ला यामीन को सत्ता में बरकरार रखने के लिए चुनावों में गड़बड़ी की जाएगी।
मौजूदा राष्ट्रपति यामीन ने अपने सभी प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों को या तो जेल में डाल दिया है या देश से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया है। यामीन ने देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चीन से अरबों डॉलर का कर्ज ले लिया है, जिसके कारण लंबे समय से मालदीव का समर्थक रहा भारत चिंतित है। मालदीव में ‘‘हालात नहीं सुधरने पर’’ यूरोपीय संघ (ईयू) यात्राओं पर पाबंदी और संपत्तियों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की चेतावनी दे चुका है जबकि अमेरिका ने कहा है कि वह 1,200 द्वीपों वाले इस देश में लोकतंत्र को कमजोर करने वालों के लिए ‘‘उचित कदम उठाने पर विचार करेगा।’’
करीब 2,60,000 लोग मालदीव में हो रहे चुनावों में वोट डाल सकते हैं। स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को इन चुनावों की निगरानी की मंजूरी नहीं दी गई है। सिर्फ विदेशी मीडिया के कुछ पत्रकारों को चुनाव कवर करने की इजाजत मिली है।
विदेशी चुनाव निगरानी समूह ‘एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शन्स’ ने कहा कि चुनाव प्रचार अभियान 59 साल के यामीन के पक्ष में बहुत हद तक झुका हुआ है। सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने से पहले यामीन को सिविल सेवा के एक साधारण अधिकारी के तौर पर देखा जाता था।
‘एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शन्स’ ने कहा उसे निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं है। पर्यवेक्षकों ने मतदान की पूर्व संध्या पर कहा, ‘‘(चुनावों की) निगरानी या (सरकार पर) दबाव के अभाव में मालदीव के लोगों के सामने निराशाजनक स्थिति का सामना करने का खतरा है।
बीते फरवरी में आपातकाल लागू कर, संविधान को निलंबित कर और यामीन के खिलाफ महाभियोग की कोशिश कर रहे सांसदों को रोकने के लिए सैनिकों को भेजकर मौजूदा राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता में डाल दिया था। कई वरिष्ठ जजों और प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को अब निर्वासित जीवन बिताना पड़ रहा है। नशीद ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह चुनाव के नतीजों को खारिज करे।
नशीद ने कहा, ‘‘गणित के हिसाब से यामीन के लिए जीतना जरूरी नहीं है, क्योंकि सारी विपक्षी पार्टियां उनके खिलाफ हैं। लेकिन वे बैलट बक्सों में पड़े वोटों से अलग जाकर नतीजों की घोषणा करेंगे।
(इनपुट भाषा)