जयशंकर ने यरूशलम में ऐतिहासिक इंडियन होसपाइस में पट्टिका का अनावरण किया

By भाषा | Published: October 18, 2021 10:08 PM2021-10-18T22:08:02+5:302021-10-18T22:08:02+5:30

Jaishankar unveils plaque at historic Indian Hospice in Jerusalem | जयशंकर ने यरूशलम में ऐतिहासिक इंडियन होसपाइस में पट्टिका का अनावरण किया

जयशंकर ने यरूशलम में ऐतिहासिक इंडियन होसपाइस में पट्टिका का अनावरण किया

(हरिंदर मिश्रा)

यरूशलम, 18 अक्टूबर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को यरूशलम ओल्ड सिटी स्थित प्रसिद्ध इंडियन होसपाइस में एक पट्टिका का अनावरण किया, जो भारत का इस क्षेत्र से सदियों पुरानक सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है।

पट्टिका पर लिखा है : ‘‘इंडियन होसपाइस , स्थापित - 12वीं ईस्वी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, नयी दिल्ली के सहयोग से।’’

श्रुतियों के मुताबिक, सूफी संत बाबा फरीद भारत से 1200 ईस्वी में पवित्र शहर यरूशलम आए थे और पत्थर के बने एक कमरे में 40 दिनों तक साधना की थी।

इसके बाद से मक्का आने-जाने वाले भारतीय मुस्लिम श्रद्धालु इस स्थान की यात्रा करते हैं, जिसे इंडियन होसपाइस कहा जाता है। होसपाइस का अर्थ सामान्य तौर पर अस्पताल या बीमार लोगों के लिए सुविधा केंद्र होता है।

इससे पहले रविवार को भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा था कि ‘‘यरूशलम के साथ भारत का संबंध 800 वर्ष पुराना है।’’

विदेश मंत्री ने सोमवार को ‘यरूशलम फॉरेस्ट’ में ‘भूदान ग्रोव (भूदान उपवन)’ पट्टिका का भी अनावरण किया और इस प्रकार भारत-इजराइल के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित होने से पहले के समय में दोनों देशों के बीच रहे संबंधों के अल्प ज्ञात पक्षों को सामने लाने की पहल की।

विकास के लिए गांव को बुनियादी इकाई मानने की महात्मा गांधी की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए भारतीय नेता ‘भूदान और ग्रामदान’ जैसे सर्वोदय अभियान के समाजवादी विचारों के क्रियान्वयन के तरीके खोजने के दौरान इजराइल के अनेक दौरों पर गए थे। उन्होंने इजराइल के सामुदायिक और सहकारिता संस्थानों -किबुत्जिम और मोशाविम के अलग स्वरूपों के सामाजिक ढांचे का अध्ययन किया।

सर्वोदय अभियान के नेता जयप्रकाश नारायण सितंबर 1958 में इजराइल के नौ दिवसीय दौरे पर गए थे। उनके दौरे के बाद 27 सदस्यीय सर्वोदय दल छह महीने के अध्ययन दौरे पर वहां गया। भारत लौटने के दौरान इस दल ने 22 मई 1960 को ‘यरूशलम फॉरेस्ट’ में ‘भूदान ग्रोव’ के लिए पौधारोपण किया।

जयशंकर ने जेपी और भूदान कर्मियों के दौरे को ‘‘हमारे परस्पर इतिहास का एक ऐसा पहलू’ बताया ‘‘जिसे वह महत्व नहीं मिला जिसका कि वह हकदार था।’’ उन्होंने कहा कि इस पट्टिका का अनावरण बहुत उचित समय पर हो रहा है क्योंकि पिछले वर्ष आचार्य विनोबा भावे की 125वीं जयंती थी।

‘भूदान ग्रोव’ पट्टिका का अनावरण करने के बाद ज्यूइश नेशन फंड ने जयशंकर को प्रमाण-पत्र सौंपा।

रविवार शाम को अपने संबोधन में जयशंकर ने भारतीय यहूदी समुदाय के साथ इस साझा ऐतिहासिक रिश्ते के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के बाद, आधुनिक काल में इस बारे में भी कुछ तथ्य ऐसे हैं जिनकी जानकारी कम लोगों को है, जैसे कि भारत के प्रमुख समाजवादी राजनीतिक नेताओं और धाराओं ने इजराइल में किबुत्ज आंदोलन के साथ किस तरह की समानता महसूस की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े प्रमुख राजनीतिक नेताओं में से एक जयप्रकाश नारायण 1958 में इजराइल गए। आजादी के आंदोलन के एक और शीर्ष नेता विनोबा भावे के कई अनुयायी किबुत्ज आंदोलन को समझने के लिए 1960 में इजराइल गए थे।’’

विदेश मंत्री ने यहूदी नरसंहार (होलोकास्ट) के दौरान मारे गए लाखों यहूदी लोगों की याद में बनाए गए स्मारक याद वाशेम पर पुष्पांजलि अर्पित की।

इसके बाद उन्होंने स्मारक पर आगंतुक पत्रिका में लिखा, ‘‘यह स्मारक इस बात का गवाह है कि व्यक्ति किस हद तक बुरा हो सकता है, यह मानवीय गुण-सहनशक्ति और दृढ़ता का भी प्रतीक है। लोगों के लिए यह स्मारक हमेशा साहस और सच्चाई का प्रतीक रहेगा।’’

जयशंकर इजराइल के विदेश मंत्री येर लेपिड से भी मुलाकात करेंगे।

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Web Title: Jaishankar unveils plaque at historic Indian Hospice in Jerusalem

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