अंतरराष्ट्रीय अदालत ने यूक्रेन में कार्रवाई को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया
By सतीश कुमार सिंह | Published: March 17, 2023 09:00 PM2023-03-17T21:00:16+5:302023-03-17T21:38:53+5:30
संयुक्त राष्ट्र समर्थित जांच की रिपोर्ट में रूस पर यूक्रेन में नागरिकों के खिलाफ हमले कर, कब्जे वाले क्षेत्रों में सुनियोजित तरीके से लोगों को यातना देकर और उनकी जान लेकर युद्ध अपराध करने, संभवतः मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप लगाए गए हैं।
न्यूयार्कः अंतरराष्ट्रीय अदालत ने यूक्रेन में कार्रवाई को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। पिछले साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमले शुरू किए थे। रूसी प्राधिकारियों ने लोगों को प्रताड़ित किया, जो मानवता के खिलाफ अपराध है।
International Criminal Court issues arrest warrant for Russian President Putin because of his actions in Ukraine, reports AP
— Press Trust of India (@PTI_News) March 17, 2023
आईसीसी ने कहा कि पुतिन ‘‘बच्चों के अवैध निर्वासन और यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों से रूसी संघ में बच्चों को अवैध रूप से ले जाने संबंधी युद्ध अपराधों के लिए कथित रूप से जिम्मेदार हैं।’’ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय में बाल अधिकार मामलों की आयुक्त मारिया अलेक्सेयेवना लवोवा-बेलोवा के खिलाफ भी ऐसे ही आरोपों के सिलसिले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
संयुक्त राष्ट्र समर्थित जांच की एक रिपोर्ट में, रूस पर यूक्रेन में नागरिकों के खिलाफ हमले कर, अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में सुनियोजित तरीके से लोगों को यातना देकर और उनकी जान लेकर युद्ध अपराध करने, संभवतः मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप लगाए गए हैं। यह रिपोर्ट हाल में जारी की गई थी।
यूक्रेन के मारियुपोल शहर में एक थिएटर पर रूसी हवाई हमले के एक साल बाद जारी संयुक्त राष्ट्र समर्थित जांच रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक सदस्य (रूस) की घोर आलोचना की गई है। मारियुपोल के जिस थिएटर पर रूस ने हवाई हमले किए थे, वहां बड़ी संख्या में लोगों ने शरण ले रखी थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में बार-बार बुनियादी अवसंरचनाओं को निशाना बनाया गया, जिससे हजारों की संख्या में लोगों को कड़ाके की सर्दी में बिजली और किसी भी तरह की ऊष्मा के बिना रहना पड़ा। इसमें कहा गया है कि यूक्रेन के जिन हिस्सों पर रूसी बलों ने कब्जा किया, वहां के लोगों को सुनियोजित तरीके से प्रताड़ित किया गया और उन्हें मार डाला गया।
जांच की अगुवाई नॉर्वे के उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं यूरोपीय मानवाधिकार अदालत के पूर्व न्यायाधीश एरिक एमसे ने की। रिपोर्ट के अनुसार, जांच में यह भी पाया गया कि रूसी भूभाग में रह रहे यूक्रेनी नागरिकों के खिलाफ अपराध किए गए। इनमें यूक्रेनी बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर देना शामिल है।
इसके अलावा, एक ‘‘फिल्ट्रेशन सिस्टम’’ बनाया गया, जिसका उद्देश्य यूक्रेनी नागिरकों को अमानवीय परिस्थितियों में हिरासत में रखना और उन्हें प्रताड़ना देना था। फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप ने शुक्रवार को यहां कहा कि रूस का यूक्रेन पर किया गया हमला विश्व व्यवस्था के खिलाफ ‘जानबूझकर किया गया बलप्रयोग’ है और यह केवल यूरोप की समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि अलोकतांत्रिक चीन के नेतृत्व वाली दुनिया में रहना अमेरिका नीत दुनिया में रहने के समान नहीं है।
(इनपुट एजेंसी)