भारत ने इजराइल को ठेंगा दिखाया, हमास के खिलाफ वोटिंग में रहा गैरहाजिर
By विकास कुमार | Published: December 8, 2018 02:59 PM2018-12-08T14:59:15+5:302018-12-08T14:59:15+5:30
अमेरिकी प्रस्ताव के खिलाफ और हमास के गतिविधियों के समर्थन में 85 देशों ने वोट डाला जबकि 58 देशों ने हमास के खिलाफ वोट किया। भारत सहित 32 देश वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहे।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद भारत और इजराइल के ऐतिहासिक रिश्ते में एक नई सरगर्मी देखने को मिली थी। नरेन्द्र मोदी भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने जो इजराइल के दौरे पर गए। लेकिन गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलीस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के खिलाफ लाये गए अमेरिकी प्रस्ताव के दौरान भारत का गैरहाजिर रहना ये साफ संकेत देता है कि इजराइल को लेकर मोदी सरकार भी उसी रणनीति के तहत चल रही है, जिसका अनुसरण पूर्व की सरकारों ने किया है।
अमेरिका द्वारा यह प्रस्ताव हमास के आतंकियों द्वारा इजराइल में राकेट दागे जाने और गोलीबारी की घटनाओं को लेकर निंदा करने के लिए लाया गया था। साथ ही इजराइल में आतंकी घुसपैठ करवाने के लिए सुरंग खोदने और जिहादियों की फौज खड़ा करने को लेकर भी उसकी निंदा की जानी थी। लेकिन भारत ने इस प्रस्ताव के दौरान गैरहाजिर रहना ही ज्यादा उचित समझा।
पीटीआई के मुताबिक अमेरिका का यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका क्योंकि यूएन महासभा में इसे जरूरी दो-तिहाई वोट नहीं मिले। अमेरिकी प्रस्ताव के खिलाफ और हमास के गतिविधियों के समर्थन में 85 देशों ने वोट डाला जबकि 58 देशों ने हमास के खिलाफ वोट किया।
भारत सहित 32 देश वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहे। हाल ही में हमास ने इजराइल में कई रॉकेट दागे थे, जिसमे एक इजरायली नागरिक की मौत हो गई थी। जवाबी कारवाई में इजराइल ने भी हमास के ठिकाने पर बमबारी की थी, जिसमें हमास के 7 आतंकवादी मारे गए थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इजराइल दौरे पर इस बात को बार-बार दोहराया था कि आतंक के खिलाफ भारत हमेशा इजराइल के साथ खड़ा है। इजराइल ने भी पाकिस्तान द्वारा निर्यातित आतंकवाद की आलोचना की थी और भारत को हरसंभव मदद करने का एलान किया था। लेकिन भारत के इस फैसले के बाद इजराइल और भारत का आतंक के खिलाफ गठजोड़ कमजोर हो सकता है।