इमरान खान ने सलमान रुश्दी पर हुए हमले की निंदा की, कहा, "मुस्लिम जगत का 'द सैटेनिक वर्सेज' को लेकर गुस्से को समझता हूं, लेकिन हमला दुखद है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 19, 2022 04:50 PM2022-08-19T16:50:23+5:302022-08-19T16:56:10+5:30
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय मूल के लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले को दुखद बताते हुए कहा कि 'द सैटेनिक वर्सेज' के खिलाफ मुस्लिम जगत के गुस्से को अच्छे से समझता हूं लेकिन उन पर हुआ हमला भयानक और दुखद है।
इस्लामाबाद:पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय मूल के विश्वप्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने कहा कि इस हमले से समझ आता है कि रुश्दी के विवादास्पद उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' के खिलाफ मुस्लिम जगत में किस तरह का रोष है, लेकिन उसके बाद भी रुश्दी पर हुआ हमला बेहद अनुचित था।
इमरान खान ने शुक्रवार को लंदन के अखबार 'गार्जियन' को दिए एक इंटरव्यू में रुश्दी पर हुए हमले के सवाल पर कहा, "मुझे लगता है कि यह भयानक और दुखद है। रुश्दी इस बात को समझ गए होंगे क्योंकि वह एक मुस्लिम परिवार से आते हैं। वह हमारे दिलों में रहने वाले एक नबी के प्यार, सम्मान, श्रद्धा को समझते हैं।"
उन्होंने कहा, "मैं तो उनके प्रति इस्लामी दुनिया के गुस्से को समझता हूं लेकिन उसके बाद भी रूश्दी के साथ जो हुए, उसे आप सही नहीं ठहरा सकते हैं।"
मालूम हो कि इमरान खान ने साल 2012 में रुश्दी की विवादित किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' के कारण नई दिल्ली में आयोजिक एक मीडिया सम्मेलन में केवल इसलिए भाग लेने से इनकार कर दिया था क्योंकि उस बैठक में सलमान रुश्दी भी आने वाले थे।
उस वक्त इमरान खान उस मीडिया सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता शामिल होने वाले थे लेकिन उन्होंने यह कहते हुए कार्यक्रम में आने से इनकार कर दिया था कि सलमान रुश्दी की लेखनी के कारण दुनिया भर में मुसलमानों को जो चोट पहुंची है, उसके लिए कोई माफी नहीं है। इसलिए वो सलमान रुश्दी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे।
मुंबई में पैदा होने वाले भारतीय मूल के लेखक सलमान रूश्दी की लिखी किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' साल 1988 में रिलीज़ हुई थी। इस किताब के कारण इस्लामी दुनिया ने रुश्दी पर ईश निंदा का आरोप लगाया और यही कारण था कि 'द सैटेनिक वर्सेज' विवाद के कारण वो उस समय लगभग नौ साल तक छिप कर रहे थे।
ईरान के धर्मगुरु अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने रुश्दी पर किताब को लेकर साल 1989 में एक फतवा जारी किया, जिसमें उनको मारने का आह्वान किया गया था। ईरान की ओर से कहा गया था कि जो भी सलमान रुश्दी को मारेगा, उसे 30 लाख अमेरिकी डॉलर बतौर इनाम दिया जाएगा।
लगभग तीन दशक के बाद भी 'द सैटेनिक वर्सेज' के विवाद ने सलमान रुश्दी का नाता नहीं छुटा और बीते हफ्ते 75 साल के सलमान रुश्दी को 24 साल के हादी मटर ने उस समय चाकू से लहूलुहान कर दिया, जब वो पश्चिमी न्यूयॉर्क में चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन के एक साहित्यिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मंच पर जा रहे थे।
रुश्दी पर हुए जानलेवा हमले के बारे में चौटाउक्वा काउंटी के जिला अटॉर्नी जेसन श्मिट ने कोर्ट में बताया कि आरोपी हादी मटर ने चाकू से मंच पर रुश्दी की गर्दन, पेट, दाहिनी आंख, छाती और दाहिनी जांघ पर कई बार हमला किया। अस्पताल में भर्ती सलमान रुश्दी इस समय स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं और खतरे से बाहर हैं। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)