गिलगिट-बाल्टिस्तान में 13 लोगों की रिहाई की मांग को लेकर शिया समुदाय का विरोध प्रदर्शन, जानें क्या है मामला?

By रुस्तम राणा | Published: July 4, 2022 07:16 PM2022-07-04T19:16:46+5:302022-07-04T20:07:53+5:30

विरोध प्रदर्शन 13 अक्टूबर 2005 को हुई एक घटना जुड़े हुए हैं, जहां रेंजर्स के कर्मियों ने शिया समुदाय के सदस्यों पर गोलियां चलाईं, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 12 नागरिकों की मौत हो गई।

Gilgit-Baltistan’s Shia Community Holds Sit-In Against ‘Unlawful’ Detention Of 13 Prisoners | गिलगिट-बाल्टिस्तान में 13 लोगों की रिहाई की मांग को लेकर शिया समुदाय का विरोध प्रदर्शन, जानें क्या है मामला?

गिलगिट-बाल्टिस्तान में 13 लोगों की रिहाई की मांग को लेकर शिया समुदाय का विरोध प्रदर्शन, जानें क्या है मामला?

Highlights13 अक्टूबर 2005 को हुई एक घटना से जुड़ा विरोध प्रदर्शननागरिक होने के चलते उनपर सैन्य अदालत में नहीं चलाया जा सकता मुकदमा प्रदर्शनकारियों का आरोप झूठे आरोपों के चलते चलाया गया मुकदमा

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में अक्सर अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के हनन की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इसी के चलते वे अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए भी नजर आते हैं। पाकिस्तान के गिलगिट-बाल्टिस्तान में शिया समुदाय के लोग अपने 13 लोगों की रिहाई के लिए एक सप्ताह से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां कई जगहों पर इस तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी कहीं पर भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। दरअसल यहां सैन्य अदालतों द्वारा 2005 में रेंजर्स और समुदाय के बीच संघर्ष में शामिल होने के बाद इन 13 लोगों को हिरासत में लिया गया था।

13 अक्टूबर 2005 को हुई एक घटना से जुड़ा विरोध प्रदर्शन

विरोध प्रदर्शन 13 अक्टूबर 2005 को हुई एक घटना जुड़े हुए हैं, जहां रेंजर्स के कर्मियों ने शिया समुदाय के सदस्यों पर गोलियां चलाईं, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 12 नागरिकों की मौत हो गई। रेंजर्स और शिया समुदाय के बीच संघर्ष में, दो रेंजर्स अधिकारियों की भी कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके कारण शूटिंग के पीछे संदिग्ध 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, गोलीबारी में कम से कम दो रेंजर और 10 नागरिक मारे गए। उसी वर्ष की शुरुआत में सशस्त्र लोगों द्वारा प्रमुख शिया मौलवियों की हत्या के बाद भड़की हिंसा में चार रेंजर भी घायल हो गए थे। 

2015 में, मामला एक सैन्य अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। मुमताज कविश, शब्बीर रिजवी, जाहिद हुसैन, सफदर अली, मुजाहिद अली, अली हैदर, जमील हुसैन, अली रहमत, गुलाम अब्बास और बिलाल हुसैन सहित संदिग्ध उस समय जमानत पर थे। 

नागरिक होने के चलते उनपर सैन्य अदालत में नहीं चलाया जा सकता मुकदमा 

सैन्य अदालतों ने संदिग्धों को दोषी पाया और उन्हें जेल में डाल दिया गया। शिया समुदाय तब से विरोध कर रहा है, यह दावा करते हुए कि 13 लोगों पर दिखावटी अदालतों और झूठे आरोपों के माध्यम से मुकदमा चलाया गया था। विरोध कर रहे शिया समुदाय की मांग है कि उनके नागरिक होने के कारण सैन्य अदालतों द्वारा मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए था।

Web Title: Gilgit-Baltistan’s Shia Community Holds Sit-In Against ‘Unlawful’ Detention Of 13 Prisoners

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