जर्मनी: म्यूनिख ओलंपिक में मारे गये इजरायली खिलाड़ियों की याद में आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे परिजन, जानिए क्या है वजह
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 12, 2022 06:02 PM2022-08-12T18:02:10+5:302022-08-12T18:16:04+5:30
जर्मनी 50 साल बाद म्यूनिख ओलंपिक में मारे गये 11 इजरायली खिलाड़ियों की याद में एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है लेकिन उस कार्यक्रम में मारे गये खिलाड़ियों के परिजनों ने भाग लेने से इनकार कर दिया है।
म्यूनिख:जर्मनी 1972 में हुए म्यूनिख ओलंपिक में मारे गये इजरायली खिलाड़ियों की याद में 50 साल बाद एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है लेकिन जर्मन सरकार के इस कार्यक्रम में उन 11 इजरायली खिलाड़ियों के परिजन शामिल नहीं होंगे, जो फिलीस्तीनी आतंकी संगठन के हाथों मारे गये थे।
इस संबंध में मृत 11 इजरायली एथलीटों के परिवार ने जर्मन अधिकारियों से कहा कि वो जर्मनी द्वारा म्यूनिख ओलंपिक त्रासदी के संबंध में आयोजित समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि उन्हें उस त्रासदी के संबंध में जर्मनी से और अधिक मुआवजे की उम्मीद थी, जो अब तक पूरी नहीं हुई हैं।
म्यूनिख ओलंपिक में मारे गये इजरायली खिलाड़ियों के परिजनो ने यह घोषणा गुरुवार को उस समय की, जब जर्मनी और इजरायल सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान हिटलर के नाजी शासन में मारे गये 6 मिलियन यहूदियों की हत्या की बात को भुलाने के लिए और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए विभिन्न तरह की योजनाओं पर काम कर रहा है।
मालूम हो कि 5 सितंबर 1972 को फिलीस्तीनी आतंकी संगठन के सदस्यों ने म्यूनिख के ओलंपिक गांव में इजरायल की राष्ट्रीय टीम के दो एथलीटों को मार डाला और नौ और बंधक बना लिया था। अपहर्ता इजरायल द्वारा पकड़े गए फिलिस्तीनी कैदियों को छुड़ाने के लिए इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बनाया था। साथ आतंकी पश्चिम जर्मनी की जेलों में बंद अपने दो को छोड़ने की भी मांग कर रहे थे।
घटना के बाद जर्मन सेना द्वारा इजरायली खिलाड़ियों को बचाने का पूरा प्रयास किया गया लेकिन सभी 2 बंधक और एक जर्मन पुलिस अधिकारी को अपहर्ताओं ने मौत के घाट उतार दिया था। मारे गये एथलीटों के परिजनों ने आरोप लगाया था कि जर्मनी ने ओलंपिक गांव को सुरक्षा के लिए पुख्ता प्रबंध नहीं किये थे और साथ ही यह आरोप भी लगाया था कि जर्मनी ने इस मामले में इजरायल से भी मदद लेने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण सभी 11 खिलाड़ी मारे गये।
1972 के हमले में मारे गये 11 खिलाड़ियों के परिजनों ने जर्मन अधिकारियों को म्यूनिख आयोजन के बहिष्कार के संबंध में लिखे पत्र में कहा, "जर्मन सरकार लगातार इस मामले में 50 सालों से हमारे साथ दुर्व्यवहार, झूठा और अपमानजनक व्यवहार कर रही है।
उन्होंने कहा कि जब जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने सार्वजनिक माफी और हमले के संबंध में आर्काइव को खोलने की मांग स्वीकर कर लिया था तो अभी तक उस पर पालन क्यों नहीं हुआ। फिलीस्तीनी आतंकियों के हमले में मारे गए खिलाड़ियों में एक तलवारबाजी कोच के आंद्रे स्पिट्जर की विधवा एंकी स्पिट्जर ने कहा कि सभी पीड़ित परिवारों को आतंकवादी हमलों में तय अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए।
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक उन्होंने कहा, "मैं 26 साल की थी, जब म्यूनिख में वह हादसा हुआ था। मैं अब 76 साल की हूं। मुझे अब हीरे की अंगूठी की जरूरत नहीं है।” एंकी स्पिट्जर ने कहा, "सभी खिलाड़ियों के परिवार वाले जर्मनी से "उचित उचित मुआवजा" चाहते हैं, खासकर उन लोगों के लिए, जिन्होंने उस हमले में अपने माता-पिता को खो दिया।"
इसके साथ ही स्पिट्जर ने कहा, "हम सभी (खिलाड़ियों के परिजन) जर्मन सरकार के अपमानजनक प्रस्ताव को पूरी रजामंदी और एकता से ठुकरा रहे हैं, वो समारोह करें, लेकिन हम वहां नहीं जाएंगे।"
पत्र में कहा गया है कि ओलंपिक एथलीटों सहित लगभग 200 लोगों का इजरायली प्रतिनिधिमंडल अपने घरों में रहेगा और कार्यक्रम स्थल पर नहीं जाएगा। इजरायली समूह द्वारा लिखे इस कड़े पत्र के मामले में जर्मन अधिकारियों की ओर से कोई तत्काल टिप्पणी नहीं आयी है।
जर्मनी के आंतरिक मंत्रालय कहना है कि म्यूनिख हमले के फौरन बाद जर्मनी ने मृत खिलाड़ियों के पीड़ितों को लगभग 2 मिलियन यूरो का मुआवजा दिया था। वहीं साल 2002 में भी मृत खिलाड़ियों के जीवित रिश्तेदारों को अलग से 3 मिलियन यूरो दिया गया था।
इसके साथ ही जर्मनी के आंतरिक मंत्रालय ने यह भी कहा कि पिछले महीने वह खिलाड़ियों के रिश्तेदारों के साथ इस विषय में बातचीत कर रहा था और परिवारों को और ज्यादा पैसों के भुगतान की योजना पर काम कर रहा है।
जर्मन मीडिया के मुताबिक सरकार ने मृत खिलाड़ियों के परिवारों को 10 मिलियन यूरो की पेशकश की है, जिसमें पहले से किए गए भुगतान भी शामिल होंगे। हालांकि जर्मन सरकार ने अभी तक सार्वजनिक रूप से इसका खुलासा नहीं किया है।