सऊदी अरब ने नारीवाद, समलैंगिकता और नास्तिकता को बताया चरमपंथ, इसके पीछे है ये बड़ा कारण
By रामदीप मिश्रा | Published: November 12, 2019 02:10 PM2019-11-12T14:10:07+5:302019-11-12T14:10:32+5:30
सऊदी अरब में समलैंगिकता और नास्तिकता लंबे समय से दंडनीय अपराध है। उल्लंघन करने वाले लोगों को मौत की सजा और कठोर दंड दिया जाता है। साथ ही साथ सार्वजनिक विरोध और राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध है।
सऊदी अरब अपने देश में विदेशियों को आकर्षित करने के लिए हर समंभ प्रयास कर रहा है। वह अपनी तस्वीर सहिष्णुता की पेश कर रहा है। उसकी सुरक्षा ऐजेंसी ने एक ताजा वीडियो जारी किया है, जिसमें उसने नारीवाद, समलैंगिकता और नास्तिकता को चरमपंथी विचारों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
खबरों के अनुसार, सऊदी अरब की स्टेट सिक्योरिटी प्रेसीडेंसी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक एनीमेटिड वीडियो ट्वीट किया गया है, जिसमें अतिवाद (चरमपंथ) और विकृति के सभी रूप को अस्वीकार्य बताया गया है। इसने उन सिद्धांतों को लिकफिर के साथ सूचीबद्ध किया गया है जो उनके मुताबिक मेल नहीं खा रहे हैं।
वीडियो में कहा गया है कि यह मत भूलना कि देश की कीमत पर किसी भी ज्यादती को अतिवाद नहीं माना जाएगा। वो अतिवाद ही होगा। कहा जा रहा है कि सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस्लाम का उदार रूप और राष्ट्र भावना को आगे रख रहे हैं ताकि विदेशियों को निवेश के लिए आकर्षित किया जा सके। प्रिंस का मानना है कि देश तेल के ऊपर निर्भर न रहकर खुले समाज का सिद्धांत लागू किया जा सके।
प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सामाजिक प्रतिबंधों पर नरमी बरती है और पर्यटक वीजा शुरू किया है। सऊदी अरब अगले साल 20 देशों के समूह की अध्यक्षता संभालने की तैयारी कर रहा है। वहीं, रियाद ने एक अभिभावक प्रणाली को खत्म कर दिया। इसके तहत महिला को कोई भी फैसला लेने के लिए अपने रिश्तेदार की आवश्यकता होती थी। वह अपने जीवन में कोई भी अकेले फैसला नहीं ले सकती थी। इस प्रथा को खत्म करने का विरोध करने वाले आलोचकों, बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, ताकि समाज में असंतोष न पनपे।
सऊदी अरब में समलैंगिकता और नास्तिकता लंबे समय से दंडनीय अपराध है। उल्लंघन करने वाले लोगों को मौत की सजा और कठोर दंड दिया जाता है। साथ ही साथ सार्वजनिक विरोध और राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध है। इसके अलावा मीडिया को कसकर नियंत्रित किया गया है।