H1-B वीजा पर प्रतिबंध लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, कोरोना महामारी के बीच बढ़ जाएगी भारत की मुश्किलें
By निखिल वर्मा | Published: June 23, 2020 05:41 AM2020-06-23T05:41:08+5:302020-06-23T06:05:41+5:30
कोरोना वायरस महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन में अमेरिका में लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं. अमेरिकी प्रशासन पर नौकरियों सृजन करने का दबाव है.
अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी के चलेत बढ़ते बेरोजगारी को देखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूएस वर्क वीजा पर लगे प्रतिबंध को साल के अंत तक के लिए बढ़ाने जा रहे हैं। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार ट्रंप इसमें H1-B वीजा श्रेणी में शामिल कर सकते हैं।
कोरोना वायरस महामारी में लाखों अमेरिकी लोगों को नौकरी गई है। अमेरिकी वरिष्ठ प्रशासन को उम्मीद है कि वीजा प्रतिबंध से देश में 5 लाख 25 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
एच1बी वीजा के निलंबन से प्रभावित होने वाले देशों में भारत प्रमुख है, क्योंकि भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर इस वीजा की सबसे ज्यादा मांग करने वालों में से हैं। अमेरिकी वित्त वर्ष एक अक्टूबर से शुरू होता है और तब कई नए वीजा जारी किए जाते हैं।
बता दें कि अमेरिका की प्रौद्योगिकी कंपनियां हजारों कर्मचारियों को नौकरी पर रखने के लिए हर साल भारत और चीन पर निर्भर होती हैं। ऐसे में अमेरिकी सरकार के इस फैसले का असर हजारों भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवर पर होगा। अमेरिका में पहले से कई एच1बी वीजा धारकों की नौकरी जा चुकी हैं और कोरोना वायरस संकट के दौरान वह भारत वापस लौट रहे हैं।
जानें क्या है एच-1बी वीजा
एच-1 बी वीजा कुछ कुशल श्रमिकों के लिए डिजाइन किए गए हैं जैसे कि विज्ञान, इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में कार्यरत है। एच-2बी वीजा श्रमिकों जैसे होटल और निर्माण कर्मचारी को दिए जाते हैं। एल -1 वीजा अधिकारियों के लिए हैं बड़े निगमों और जे -1 वीजा के लिए शोध विद्वानों, प्रोफेसरों और अन्य सांस्कृतिक और कार्य-विनिमय कार्यक्रमों को जारी किया जाता है।
70 फीसदी सिर्फ भारतीय करते हैं एच-1बी वीजा के लिए अप्लाई
बता दें कि अमेरिका में हर साल 85,000 लोगों को एच-1बी वीजा मिलता है। उसमें भी कुल एच -1बी वीजा का 70 फीसदी सिर्फ भारतीयों को जाता है। बड़ी संख्या में भारतीय इस वीजा के लिए अप्लाई करते हैं।