'भारत के साथ सिर्फ बातचीत से ही हल किया जा सकता है विवाद', नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कही ये बात
By स्वाति सिंह | Published: August 13, 2020 09:46 PM2020-08-13T21:46:59+5:302020-08-13T21:48:23+5:30
नेपाल के एक सरकारी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में ये बात कही। नेपाल के विदेश मंत्री का ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी 17 अगस्त को द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
काठमांडू: नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा है कि भारत के साथ उनके देश का क्षेत्र संबंधित विवाद केवल वार्ता के माध्यम से ही हल किया जा सकता है। उन्होंने नेपाल के सरकारी टीवी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान यह बात कही। बता दें कि दोनों देशों के अधिकारियों के बीच 17 अगस्त को एक बैठक होगी।
नेपाल के एक सरकारी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में ये बात कही। नेपाल के विदेश मंत्री का ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी 17 अगस्त को द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
The territorial dispute between Nepal and India can only be solved through dialogue: Nepal's Minister for Foreign Affairs, Pradeep Kumar Gyawali in an interview with state-owned Nepal Television. (file pic) pic.twitter.com/OQlf0lm5t4
— ANI (@ANI) August 13, 2020
भारतीय राजदूत -नेपाल के विदेश सचिव के बीच 17 अगस्त को वार्ता
बता दें कि भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी 17 अगस्त को द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। नेपाल द्वारा मई में नया राजनीतिक मानचित्र जारी किये जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा होने के बाद यह पहली मुख्य वार्ता होगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि क्वात्रा और बैरागी के बीच समीक्षा प्रक्रिया के तहत होने वाली यह वार्ता भारत और नेपाल के दरम्यान होने वाले नियमित संवाद का हिस्सा है।
एक सूत्र ने बताया, ''दोनों देशों के बीच जारी द्विपक्षीय आर्थिक और विकासपरक परियोजनाओं की समीक्षा और समय-समय पर संवाद के लिये 2016 में समीक्षा प्रक्रिया की व्यवस्था की गई थी। ''
यहां जानें पूरा विवाद
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था। नेपाल ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया है। भारत इन इलाकों को अपना मानता है। जून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था।