Coronavirus: अमेरिका में कोरोना संक्रमण से हाहाकार, अस्पतालों में मरीजों की बाढ़, डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत

By भाषा | Published: April 2, 2020 01:59 PM2020-04-02T13:59:50+5:302020-04-02T13:59:50+5:30

अमेरिका में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और विभिन्न अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों की बाढ़ से जूझ रहे हैं और उनके लिए यह फैसला लेना मुश्किल हो रहा है कि किन मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाए और किन्हें नहीं।

Coronavirus Outbreak in America flood of patients in hospitals biggest trouble for doctors | Coronavirus: अमेरिका में कोरोना संक्रमण से हाहाकार, अस्पतालों में मरीजों की बाढ़, डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत

कोरोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण ने अमेरिका की कमर तोड़ दी है।

Highlightsअमेरिका में आग की तरह फैलते कोरोना वायरस के संक्रमण से सारी व्यवस्था पटरी से उतर गई है, हर तरफ चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही हैंवहां के डॉक्टरों के लिए यह तय करना मुश्किल हो गया है कि किस मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाए और किस मरीज को नहीं

वाशिंगटन। अमेरिका में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और विभिन्न अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों की बाढ़ से जूझ रहे हैं और उनके लिए यह फैसला लेना मुश्किल हो रहा है कि किन मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाए और किन्हें नहीं। मैरीलैंड के बाल्टीमोर में जॉन्स हॉप्किन्स अस्पताल के आपात विभाग में डॉक्टर डेनियल ब्रेनर कोविड-19 के कई मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मैरीलैंड में अभी तक 24 लोग जान गंवा चुके हैं और करीब 2000 मामले सामने आए हैं। सैकड़ों मामले सामने आने पर ब्रेनर ने कहा कि यह पहचान करना बहुत मुश्किल हो गया है कि किन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाए।

उन मरीजों को, जिनमें बीमारी के गंभीर लक्षण देखे गए और उन्हें ऑक्सीजन देने की जरूरत है या उन्हें जो घर पर भी इस बीमारी से उबर सकते हैं। इस वक्त सही फैसला करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। ब्रेनर ने पूछा, ‘‘क्या बुजुर्ग लोगों को ज्यादा जरूरत है? या पहले से ही बीमार लोगों को?’’ उन्होंने कहा कि अलग-अलग डॉक्टरों की अलग-अलग राय है और देश में कोई आम सहमति नहीं है कि कौन-सा रुख सही है क्योंकि इस बीमारी का केवल दो महीने से ही अध्ययन किया जा रहा है। कोरोना वायरस मरीज के लिए सबसे गंभीर बात एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) है जिसमें फेफड़ें सिकुड़ जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है तथा शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

ब्रेनर ने कहा कि कोविड-19 के मरीजों को वेंटीलेटर पर अन्य माध्यमों से एआरडीएस से पीड़ित होने वाले मरीजों के मुकाबले हवा के अधिक दबाव की आवश्यकता होती है। न्यूयॉर्क जैसे क्षेत्रों में अस्पतालों में निजी रक्षा उपकरणों की भारी कमी है और डॉक्टर इन चुनौतियों का भी सामना कर रहे हैं। ब्रेनर ने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों के अलावा हमारे पास और भी मरीज हैं जो गंभीर रूप से बीमार हैं। उनकी भी देखभाल करनी है।

अगर किसी मरीज को दिल का दौरा आता है और उसे खांसी भी है तो उन्हें कोविड-19 का संदिग्ध समझा जाता है। अगर वे बेहोश हैं तो भी उन्हें संक्रमित माना जाता है। उन्होंने कहा कि इन सब चुनौतियों के बावजूद चिकित्साकर्मियों का मनोबल ऊंचा है। कुछ कर्मचारी अस्पताल में संक्रमित हुए लेकिन गनीमत है कि कोई भी गंभीर मामला सामने नहीं आया।

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