कोरोना को लेकर नई जानकारी, इंसान की त्वचा पर कितनी देर जिंदा रहता है वायरस, जापान के शोधकर्ताओं ने बताया
By विनीत कुमार | Published: October 18, 2020 11:59 AM2020-10-18T11:59:02+5:302020-10-18T11:59:02+5:30
Coronavirus: कोरोना वायरस को लेकर लगातार शोध पूरी दुनिया में अभी भी जारी हैं और जानकारियां सामने भी आ रही हैं। अब तक दुनिया भर में करीब 4 करोड़ लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।
कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया में जारी है। अमेरिका, ब्राजील, भारत में अभी सबसे ज्यादा मामले हैं। वहीं, यूरोप के कुछ देशों में भी तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे है। स्पेन में ही पिछले कुछ दिनों से 20 हजार के करीब रोज नए मामले सामने आ रहे हैं।
इस वायरस के वैक्सीन को लेकर भी एकमत से पूरी दुनिया में कोई ठोस राय अभी तक नहीं सामने नहीं आ रही है। रूस ने जरूर वैक्सीन बनाने का दावा किया है। कई और देश भी इस दिशा में काम कर रहे हैं लेकिन फिलहाल कोरोना से राहत लोगों को नहीं मिल पा रही है। इस बीच नई रिसर्च में कोरोना वायरस को लेकर एक और अहम जानकारी सामने आई है।
जापान के शोधकर्ताओं ने ये जानकारी साझा की है। जापान के शोधकर्ताओं ने जो नतीजा दिया है, उससे ये भी एक बार फिर साफ हो जाता है क्यों कोरोना से बचने के लिए बार-बार अच्छे से हाथ धोना जरूरी है। दरअसल, जापान के शोधकर्ताओं ने ये पता लगाया है कि इंसानों की त्वचा पर कोरोना वायरस करीब 9 घंटे तक जिंदा रह सकता है।
कोरोना के इंसानी त्वचा पर जिंदा रहने की क्षमता बनाती है इसे खतरनाक
आम तौर पर फ्लू वायरस पैथोजन मानव की त्वचा पर 1.8 घंटे तक ही जिंदा रहता है। दूसरी ओर कोरोना वायरस में ये क्षमता कहीं अधिक है। ये अहम शोध इस महीने क्लिनिकल इंफेक्सियस डिजिज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इसमें कहा गया है, 'SARS-CoV-2 (कोविड-19 संक्रमण वाला वायरस) के मानव की त्वचा पर 9 घंटे जिंदा रहने की क्षमता संपर्क से संक्रमण के खतरे को बहुत बढ़ा देती है। ये IAV (इंफ्लूएंजा-ए वायरस) के खतरे से कहीं अधिक है और इसलिए ये महामारी तेजी से फैलती है।'
शोध के लिए मृत इंसान के त्वचा से लिए नमूने
इस रिसर्च के लिए शोध दल ने मौत के लगभग एक दिन बाद, शव परीक्षण नमूनों से एकत्रित त्वचा का परीक्षण करने के बाद ये नतीजे निकाले हैं। कोरोनो वायरस और फ्लू वायरस दोनों को इथेनॉल लगाने से 15 सेकंड के भीतर निष्क्रिय किया जा सकता है। इथेनॉल का इस्तेमाल ही हैंड सैनेटाइजर में किया जाता है।
अध्ययन में कहा गया है कि त्वचा पर SARS-CoV-2 के लंबे समय तक जीवित रहने से कॉन्टैक्ट ट्रांसमिशन का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में हाथ की सफाई इस खतरे को कम कर सकती है।
यह शोध विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से दी गई उन गाइडलाइन की भी पुष्टि करती है जिसमें बार-बार हाथ धोने और हैंडसैनेटाइज का प्रयोग करने की बात कही गई है। बता दें कि कोरोना वायरस पिछले साल चीन से फैलना शुरू हुआ था। इसके बाद अब इसने महामारी का रूप ले लिया है। पूरी दुनिया में लगभग 40 मिलियन लोग अब तक इससे संक्रमित हो चुके हैं।