श्रीलंका में चीन की रडार बेस स्थापित करने की योजना, बढ़ेगी भारत की चिंताएं, सैन्य अड्डों की जासूसी का खतरा
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: April 7, 2023 07:43 PM2023-04-07T19:43:11+5:302023-04-07T19:44:31+5:30
चीन का प्रस्तावित रडार सेट-अप इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों के लिए हानिकारक होगा और भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को खतरे में डालेगा। यदि इसे सफलतापूर्वक तैनात किया जाता है तो भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान प्रस्तावित रडार की रेंज में होंगे।
नई दिल्ली: हिंद महासागर में भारत को घेरने और भारत के सामरिक महत्व के स्थानो की जासूसी के लिए चीन एक नई योजना पर काम रहा है भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात हो सकती है। चीन हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की उपस्थिति पर नज़र रखने के उद्देश्य से श्रीलंका में एक रडार बेस स्थापित करने की योजना बना रहा है। इस रडार बेस से भारतीय नौसेना की गतिविधियों की निगरानी रखने के अलावा दक्षिण भारत में भारत की सामरिक संपत्तियों की जासूसी भी की जा सकेगी।
हिंद महासागर में अमेरिका के नौसेनिक डिएगो गार्सिया की निगरानी करने में भी यह रडार बेस सक्षम होगा। इसे चीन द्वारा अमेरिकी सैन्य गतिविधियों को ट्रैक करने की कोशिश का प्रयास भी माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज का एयरोस्पेस इंफॉर्मेशन रिसर्च श्रीलंका के डोंड्रा बे के जंगलों में इस प्रोजेक्ट को चलाने वाली एजेंसी हो सकती है।
कुछ रिपोर्ट्स में ये भी बताया गया है कि चीन का प्रस्तावित रडार सेट-अप इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों के लिए हानिकारक होगा और भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को खतरे में डालेगा। यदि इसे सफलतापूर्वक तैनात किया जाता है तो भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान प्रस्तावित रडार की रेंज में होंगे। रडार से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक भारतीय क्षेत्र को ट्रैक किया जा सकता है। डोंड्रा खाड़ी श्रीलंका के सबसे दक्षिणी सिरे पर स्थित है। चीन पहले ही श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के लिए लीज पर ले चुका है। हंबनटोटा बंदरगाह को चीन ने 1.12 अरब डॉलर में 99 साल की लीज पर लिया है और साल 2017 से वो इसे चला रहा है। हालांकि श्रीलंका के भारत के साथ भी अच्छे संबंध हैं लेकिन देश पर चीनी कर्ज के कारण वह चीन को सीधे मना कर पाने की स्थिति में नहीं है।
जानकार मानते हैं कि चीन ने श्रीलंका को अपने कर्ज के जाल में फंसा लिया है। इसी के दम पर वह इस द्वीप देश की विदेश नीति में भी चीन का दखल देता है। कुछ महीने पहले भी एक चीनी जासूसी जहाज के शोध के नाम पर इस क्षेत्र में मौजूद होने के कारण तनाव बढ़ा था। तब चीनी जासूसी जहाज युआन वैंग 5 हंबनटोटा बंदरगाह पर 6 दिन रुका था। अब रडार बेस स्थापित करने की चीनी योजना की जानकारी सामने आने के बाद क्षेत्र में एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है।