चीन का दावा, वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी हिस्से में है गलवान घाटी, वर्षों से वहां हमारे सुरक्षा गार्ड गश्त कर रहे हैं

By पल्लवी कुमारी | Published: June 20, 2020 02:49 AM2020-06-20T02:49:00+5:302020-06-20T02:49:00+5:30

पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में सोमवार रात (15 जून) को भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़ी सैन्य झड़प के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है।

China claims Galwan Valley on its side of LAC, gives step-by-step account of Ladakh clash | चीन का दावा, वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी हिस्से में है गलवान घाटी, वर्षों से वहां हमारे सुरक्षा गार्ड गश्त कर रहे हैं

China's Foreign Ministry Spokesperson Zhao Lijian (File Photo)

Highlightsभारत का कहना है कि इस तरह का बढ़ा-चढ़ाकर किया गया दावा छह जून को उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में बनी सहमति के खिलाफ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ छह सप्ताह से सीमा पर बने हुए गतिरोध के मुद्दे पर शुक्रवार (19 जून) को कहा कि किसी ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया और ना ही भारतीय चौकियों पर कब्जा किया गया है।

बीजिंग: चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार (19 जून) को दावा किया है कि गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की तरफ है। संवाददाताओं से बातचीत के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने 15 जून को पूर्वी लद्दाख में हिंसक झड़प के लिए एक बार फिर भारत पर दोष मढ़ा है। उन्होंने कहा, ''गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी हिस्से में आता है। कई वर्षों से वहां चीनी सुरक्षा गार्ड गश्त कर रहे हैं और अपनी ड्यूटी निभाते हैं। गलवान घाटी में सोमवार (15 जून) रात हुई हिंसक झड़प 45 साल के इतिहास में दोनों देशों के बीच सीमा पर सबसे बड़े टकराव वाली घटना थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए, वहीं चीन की सेना ने अपने मारे गए जवानों की संख्या नहीं जाहिर की है। चीन के सैनिकों ने भारतीय जवानों पर क्रूरतापूर्ण तरीके से हमले करते हुए पत्थरों, कंटीले तार वाले डंडों, लोहे की छड़ों आदि का इस्तेमाल किया था। इससे पहले भारतीय जवानों ने गलवान में एलएसी के भारतीय क्षेत्र की तरफ चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाए जाने पर विरोध दर्ज कराया था।   

चीनी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर एक प्रेस नोट में झाओ ने कहा है, ''क्षेत्र में हालात से निपटने के लिए कमांडर स्तर की दूसरी बैठक जल्द से जल्द होनी चाहिए।'' चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य जरिए से तनाव को कम करने के लिए संवाद कर रहे हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक 15 जून की शाम को भारत के सैनिकों ने समझौते का उल्लंघन करते हुए गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा, जो चीन की तरफ है, उसमें प्रवेश किया। 

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, भारतीय पक्ष ने वादा किया कि वे गलवान नदी के मुहाने को गश्त करने और सुविधाओं का निर्माण करने के लिए पार नहीं करेंगे और दोनों पक्ष जमीन पर कमांडरों के बीच बैठकों के माध्यम से सैनिकों की चरणबद्ध वापसी पर चर्चा करेंगे और निर्णय लेंगे। 

गलवान घाटी पर चीन के संप्रभुता के दावे को भारत कर चुका है खारिज

इस दावे से एक दिन पहले ही भारत ने गलवान घाटी पर चीनी सेना के संप्रभुता के दावे को खारिज कर दिया था और बीजिंग से अपनी गतिविधियां एलएसी के उस तरफ तक ही सीमित रखने को कहा था। गलवान घाटी पर चीन के संप्रभुता के दावे को भारत पहले ही खारिज कर चुका है। भारत का कहना है कि इस तरह का बढ़ा-चढ़ाकर किया गया दावा छह जून को उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में बनी सहमति के खिलाफ है। 

गलवान घाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
गलवान घाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

ना कोई भारतीय क्षेत्र में घुसा, ना ही हमारी किसी चौकी पर कब्जा हुआ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ छह सप्ताह से सीमा पर बने हुए गतिरोध के मुद्दे पर शुक्रवार (19 जून) को कहा कि किसी ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया और ना ही भारतीय चौकियों पर कब्जा किया गया है। पीएम मोदी ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 20 जवानों की शहादत का जिक्र करते हुए कहा कि एलएसी पर चीन के कदमों से पूरा देश आहत और आक्रोशित है। उन्होंने यह रेखांकित भी किया कि देश शांति और मित्रता चाहता है, लेकिन संप्रभुता की रक्षा सर्वोपरि है। प्रधानमंत्री ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के हालात पर चर्चा के लिए बुलाई सर्वदलीय बैठक में कहा कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों ने भारत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिमाकत करने वालों को ‘सबक’ सिखाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि सेना को यथोचित कदम उठाने की आजादी दी गयी है। सरकार ने एक बयान में कहा, प्रधानमंत्री ने बैठक की शुरुआत में स्पष्ट किया कि न वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई चौकी किसी दूसरे के कब्जे में है। बयान के अनुसार उन्होंने नेताओं को आश्वस्त किया कि सशस्त्र बल देश की रक्षा के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे।

प्रधानमंत्री का यह स्पष्ट बयान इन खबरों के बीच आया है कि चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी समेत पूर्वी लद्दाख के अनेक क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय पक्ष की तरफ घुसपैठ की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, एक तरफ सेना को जरूरी कदम उठाने के लिए आजादी प्रदान की गयी है, वहीं भारत ने कूटनीतिक तरीकों से चीन को अपने रुख से स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के पास आज इतनी क्षमता है कि कोई भी हमारी एक इंच जमीन की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। बैठक में अपने समापन वक्तव्य में मोदी ने कहा कि भारतीय बलों को देश की रक्षा के लिए जो करना है, वो कर रहे हैं, चाहे सैनिकों की तैनाती हो, कार्रवाई हो या जवाबी कार्रवाई हो।

Web Title: China claims Galwan Valley on its side of LAC, gives step-by-step account of Ladakh clash

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