पाक सरकार का फैसलाः हिंदू मंदिर जलाने वाले 350 आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस होंगे, 92 पुलिस अधिकारी हुए थे निलंबित

By भाषा | Published: July 13, 2021 08:50 PM2021-07-13T20:50:22+5:302021-07-13T20:51:55+5:30

प्रांत के आंतरिक विभाग सूत्रों के मुताबिक मामले को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा गठित एक ‘जिरगा’ में हिंदू समुदाय के सदस्यों ने आरोपियों को माफ करने का फैसला किया।

Cases registered against 350 accused burnt Hindu temple Pak government's decision 92 police officers were suspended | पाक सरकार का फैसलाः हिंदू मंदिर जलाने वाले 350 आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस होंगे, 92 पुलिस अधिकारी हुए थे निलंबित

ड्यूटी पर मौजूद 92 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। 

Highlights समुदाय के सदस्यों द्वारा आम सहमति से फैसला लिया जाता है।पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के अध्यक्ष डॉ रमेश के. वांकवाणी के अलावा स्थानीय हिंदू समुदाय को विश्वास में नहीं लिया गया। विभाग ने आतंकवाद रोधी अदालत को एक पत्र लिख कर उन्हें जिरगा के फैसले से अवगत कराया है।

पेशावरः पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने मंगलवार को कहा कि पिछले साल मंदिर जलाने के एक मामले में 350 आरोपियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले वापस ले लिए जाएंगे।

साथ ही, उसने दावा किया कि इन आरोपियों को अल्पसंख्यक हिंदुओं ने माफ कर दिया है। प्रांत के आंतरिक विभाग सूत्रों के मुताबिक मामले को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा गठित एक ‘जिरगा’ में हिंदू समुदाय के सदस्यों ने आरोपियों को माफ करने का फैसला किया। जिरगा एक पारंपरिक परिषद् है, जिसमें समुदाय के सदस्यों द्वारा आम सहमति से फैसला लिया जाता है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने जिरगा का गठन किया था और इसने उन सभी मुद्दों का सौहार्दपूर्ण समाधान कर दिया, जिसके चलते इलाके में स्थानीय मुस्लिम और हिंदू समुदाय के बीच तनाव पैदा हो गया था। हालांकि, हिंदू समुदाय के लोगों ने कहा कि सरकार के आवश्वासन के बावजूद वहां पुननिर्माण कार्य में अनावश्यक देर हो रही है, जिससे अल्पसंख्यक (हिंदू) समुदाय के बीच बेचैनी पैदा हो गई है।

प्रांत के हिंदू अल्पसंख्यक विद्वान एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता हारून सराब दियाल ने कहा, ‘‘हम शांति के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मामला वापस लेने के लिए जो तरीका अपनाया गया वह देश की जिरगा परंपरा के बिल्कुल खिलाफ है।’’

उन्होंने इस बारे में शिकायत की कि नेशनल एसेंबली में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सदस्य और पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के अध्यक्ष डॉ रमेश के. वांकवाणी के अलावा स्थानीय हिंदू समुदाय को विश्वास में नहीं लिया गया। सूत्रों ने कहा कि प्रांत के आंतरिक विभाग ने आतंकवाद रोधी अदालत को एक पत्र लिख कर उन्हें जिरगा के फैसले से अवगत कराया है।

प्रांतीय सरकार ने पिछले साल टेरी कारक जिले में परमहंस की समाधि और इससे जुड़े एक मंदिर को आग के हवाले करने में कथित संलिप्तता को लेकर दर्ज की गई प्राथमिकी में 350 आरोपियों को नामजद किया था। हमले में करीब 109 लोग संलिप्त थे, जबकि उस दौरान ड्यूटी पर मौजूद 92 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। 

Web Title: Cases registered against 350 accused burnt Hindu temple Pak government's decision 92 police officers were suspended

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