जानिए, दुनिया को अलविदा कहने वाले महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की कहानी
By स्वाति सिंह | Published: March 14, 2018 01:41 PM2018-03-14T13:41:32+5:302018-03-14T16:33:56+5:30
स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 इंगलैंड के ऑक्सफ़र्ड में हुआ था। जन्म के वक्त स्टीफन स्वास्थ्य और सामान्य थे। उनके पिता फ्रेंक और माता इसोबेल दोनों ही ऑक्सफर्ड में पढ़े थे।
नई दिल्ली, 14 मार्च: दुनिया ने जाने माने भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग का बुधवार को ब्रिटेन के कैम्ब्रिज स्थित उनके घर पर निधन हो गया। इस बात की जानकरी उनके बच्चों लुसी, रॉबर्ट और टिम ने दी। उन्होंने अपने बयान में कहा हम अपने पिता के जाने से बेहद दुखी हैं।'। हैरान कर देने वाली बात यह है कि स्टीफन हॉकिंग का दिमाग छोड़कर पूरा शरीर लकवाग्रस्त था। इसके बावजूद उन्होंने कई अहम शोध किए।
जब 21 के उम्र में बीमारी का पता चला
स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 इंगलैंड के ऑक्सफ़र्ड में हुआ था। जन्म के वक्त स्टीफन स्वास्थ्य और सामान्य थे। उनके पिता फ्रेंक और माता इसोबेल दोनों ही ऑक्सफर्ड में पढ़े थे। 1950 में स्टीफन अपने परिवार के साथ लंदन में रहते थे। इस दौरान इनकी दो बेटियां हुई। बेटियों के जन्म के बाद स्टीफन ने एक बेटे को गोद लिया जिसका नाम एडवर्ड था। स्टीफन जब 21 साल के हुए तब उन्हें पता चला कि उनको मोटर न्यूरॉन (एमएनडी) नाम की बीमारी है जिसके चलते वह वह बस कुछ महीने ही ज़िंदा रह सकते हैं। लेकिन आपको बता दें कि स्टीफन को मेडिकल की दृष्टी से एक चमत्कार और पहेली ही माना जाता है। इस बीमारी में उनके शरीर की नसों पर लगातार हमला होता रहता है। मेडिकल रिपोर्ट की माने तो इस बीमारी के होने के बाद सिर्फ पांच प्रतिशत लोग ही ऐसे होते हैं जो दस से ज्यादा जिन्दा रह पाते है। इस बीमारी में केवल आदमी का दिमाग ठीक रहता है बाकि शारीर से जुडी तंत्रिकाए काम कर देना बंद कर देते है।
बीमारी के बाद भी जब नहीं रुके कदम-
21 साल की उम्र में बीमार होने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और तमाम चौंकाने वाले शोध दुनिया के सामने रखे। हॉकिंग एक व्हीलचेयर के सहारे चलते थे और एक कम्प्यूटर सिस्टम के जरिए पूरी दुनिया से जुड़ते थे। स्टीफन ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी बीमारी का उनकी सफलता में सबसे अहम रोल रहा है, क्योंकि बीमारी से पहले वह पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते थे। बीमारी के समय जब उन्हें यह पता चला कि अब वह जिंदा नहीं रह सकते तो उन्होंने अपना अपना सारा ध्यान रिसर्च पर लगा दिया। हॉकिंग ने ब्लैक हॉल्स पर रिसर्च किया है।
1974 स्टीफन को डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। इसके बाद 1974 में ही ब्लैक हॉल्स पर असाधारण रिसर्च करके उन्होंने दुनिया को एक नई थ्योरी दी। इसके बाद वह साइंस की दुनिया के सेलेब्रेटी बन गए। हॉकिन्स ने अपनी रिसर्च बताया था कि यह दुनिया ईश्वर ने नहीं बनाई है बल्कि यह तो भौतिक विज्ञान के नियमों का नतीजा है। स्टीफन अपनी किताब 'ग्रांड डिजाइन' में कहा कि गुरुत्वाकर्षण जैसे कई नियम हैं और ब्राह्मांड कुछ नहीं से भी खुद को बना सकता है। ब्रह्मांड एक स्फूर्त सृजन का नतीजा है। हॉकिन्स ने यह अनुमान भी लगाया था कि ग्लोबल वार्मिंग और नए वायरसों के कारण संपूर्ण मानवता नष्ट हो सकती है।
स्टीफन हॉकिन्स की बेस्ट सेलिंग किताबें
ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम
द ग्रांड डिजाइन
यूनिवर्स इन नटशेल
माई ब्रीफ हिस्ट्री
द थ्योरी ऑफ एवरीथींग
स्टीफन हॉकिंग की पीएचडी थीसिस को लाखों बार देखा गया है। स्टीफन हॉकिंग ने 'ए ब्रीफ हिस्टरी ऑफ टाइम' नाम की किताब पर 2014 में ' द थ्योरी ऑफ एवरीथींग' फिल्म बनी थी जिसे ऑस्कर मिला था।