Beirut blast: 157 लोगों की जान चली गई, बचावकर्ताओं को मलबे से मिल रहे शव, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने किया घटनास्थल का दौरा
By भाषा | Published: August 7, 2020 05:17 PM2020-08-07T17:17:27+5:302020-08-07T17:17:27+5:30
अधिकारियों के मुताबिक, बीते 24 घंटे में कम से कम तीन शव बरामद किए गए, जिसके बाद मृतकों की संख्या 157 हो गई। विस्फोट ने अनाज के बड़े गोदाम को तबाह कर दिया और बंदरगाह के इलाकों में तबाही मचाई। शहर के कई इलाकों में शीशा और मलबा बिखरा है।
बेरुतः बेरुत में हुए भीषण विस्फोट के तीन दिन बाद भी बचावकर्ताओं के दल शवों की तलाश के लिए शुक्रवार को मलबा खंगालते रहे। इस घटना में करीब 157 लोगों की जान चली गई है और हजारों जख्मी हो गए हैं तथा शहर में बड़े पैमाने पर तबाही मची है।
अधिकारियों के मुताबिक, बीते 24 घंटे में कम से कम तीन शव बरामद किए गए, जिसके बाद मृतकों की संख्या 157 हो गई। विस्फोट ने अनाज के बड़े गोदाम को तबाह कर दिया और बंदरगाह के इलाकों में तबाही मचाई। शहर के कई इलाकों में शीशा और मलबा बिखरा है।
फ्रांस और रूस के बचाव दल खोजी कुत्तों के साथ शुक्रवार को बंदरगाह में खोज अभियान चला रहे थे। इससे एक दिन पहले फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने घटनास्थल का दौरा किया था और सहायता का वादा किया था। यह विस्फोट 2750 टन एमोनियम नाइट्रेट में हुआ था।
विस्फोटक और उर्वरक के काम में आने वाले रसायन को 2013 में एक पोत से जब्त किया गया था
विस्फोटक और उर्वरक के काम में आने वाले रसायन को 2013 में एक पोत से जब्त किया गया था और तभी से यह बंदरगाह पर रखा हुआ था। विस्फोट के बाद सरकार ने जांच शुरू कर दी है। वहीं सरकार की जबर्दस्त आलोचना भी हो रही। कई देशवासी घटना के लिए लापरवाही और भ्रष्टाचार को कसूरवार ठहरा रहे हैं।
विस्फोट के पीड़ितों का पता लगाने में मदद के लिए कई देशों ने खोज एवं बचाव दल भेजे हैं। अनाज गोदाम के पास मलबे में मिले लोगों में जोई अकीकी भी शामिल हैं। 23 वर्षीय अकीकी बंदरगाह के कर्मी हैं और विस्फोट के बाद से ही लापता थे। दर्जनों लोग अब भी लापता हैं।
बेरुत के करीब तीन लाख लोग अपने घर नहीं लौट पा रहे हैं, क्योंकि विस्फोट के कारण उनके घरों के दरवाजे-खिड़कियां उड़ गईं। कई इमारतें रहने लायक नहीं हैं। अधिकारियों ने 10 से 15 अरब अमेरिकी डॉलर के नुकसान का अंदाजा लगाया है। अस्पताल पहले से ही कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे थे। वे अब घायलों ने निपटने में संघर्ष कर रहे हैं। जांच बंदरगाह तथा सीमा शुल्क विभाग पर केंद्रित है। 16 कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है तथा अन्य से पूछताछ की गई है।
लेबनान में घातक विस्फोट के बाद अमेरिकी सहायता पहुंचनी शुरू
अमेरिका ने लेबनान में बड़े पैमाने पर हुए घातक विस्फोट के बाद वहां सहायता पहुंचानी शुरू कर दी है और यह उन दीर्घकालिक चिंताओं के बीच हो रहा है कि अधिकारी यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि सहायता सामग्रियां जरूरतमंदों तक पहुंचे न कि ईरान समर्थित हिज्बुल्ला तक।
अमेरिकी सैन्य मध्य कमान से 11 पैलेट भोजन, पानी और चिकित्सीय आपूर्ति लेकर पहला सी-17 परिवहन विमान बृहस्पतिवार को कतर में उतरा और दो अन्य के अगले 24 घंटों में वहां पहुंचने की उम्मीद है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि प्रशासन ने आपदा सहायता के रूप में कम से कम 1.5 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। अधिकारियों को औपचारिक घोषणा से पहले मामले पर चर्चा करने की इजाजत नहीं थी इसलिए उन्होंने नाम उजागर न करने की शर्त पर यह जानकारी दी।
लेकिन सहायता के प्रावधान को सबसे अधिक जटिल हिज्बुल्ला की भूमिका बनाती है जो वह लेबनानी सरकार और लेबनान समाज के ताने-बाने में निभाता है। एमोनियम नाइट्रेट का 2,750 टन के भंडार में भयंकर विस्फोट से राजधानी शहर दहल गया था।
यह रसायन 2013 में मालवाहक जहाज से जब्त किए जाने के बाद से एक कारखाने में पड़ा हुआ था। इस धमाके में 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई, हजारों घायल हो गए और कई मील दूर तक इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। अधिकारियों का अनुमान है कि दो दिन बाद तक करीब तीन लाख लोग अपने घरों को वापस नहीं लौट सके हैं। क्षतिग्रस्त हुए अस्पताल अब भी घायलों का इलाज करने में जूझ रहे हैं और अधिकारियों ने 10 अरब से 15 अरब डॉलर के बीच नुकसान होने का अनुमान जताया है।