स्कूल और ऑफिस के समय में बांग्लादेश सरकार ने की कटौती, जानिए क्या है कारण
By मनाली रस्तोगी | Published: August 23, 2022 06:25 PM2022-08-23T18:25:01+5:302022-08-23T18:46:17+5:30
प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने फैसला किया है कि स्कूल दो दिनों के लिए बंद रहेंगे, जबकि सरकारी एजेंसियां सामान्य सुबह 9 बजे के बजाय 8 बजे से खुलेंगी और 5 बजे बंद होने की बजाय 3 बजे बंद होंगी।
ढाका: बिजली बचाने के लिए बांग्लादेश सरकार हफ्ते में एक दिन और स्कूल बंद करने और ऑफिस के समय में एक घंटे की कटौती करने का फैसला किया है। एक सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। बता दें कि बांग्लादेश पेट्रोल-डीजल के संकट से जूझ रहा है, जिसकी वजह से सरकार को अपने सभी डीजल से चलने वाले बिजली संयंत्रों को बंद करना पड़ा है।
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद आयातित ईंधन की लागत बढ़ने के बाद दक्षिण एशियाई देश ने पिछले महीने अपने सभी 10 डीजल बिजली संयंत्रों को बंद कर दिया था। बांग्लादेश ने पिछले महीने प्रतिदिन दो घंटे बिजली कटौती शुरू की, लेकिन देश के कई हिस्सों को बिजली न होने की वजह से अधिक समय तक अंधेरे का सामना करना पड़ रहा है।
कैबिनेट सचिव खांडकर अनवारुल इस्लाम ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने फैसला किया है कि स्कूल दो दिनों तक बंद रहेंगे। स्कूल आमतौर पर सप्ताह में छह दिन खुलते हैं और शुक्रवार को बंद रहते हैं लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि वे अब शनिवार को भी बंद रहेंगे। बुधवार से सरकारी एजेंसियां सामान्य सुबह 9 बजे के बजाय 8 बजे से खुलेंगी और 5 बजे बंद होने की बजाय 3 बजे बंद होंगी।
वहीं, बैंक सुबह 10 बजे खुलने की जगह अब 9 बजे खुलेंगे और शाम को 6 बजे बंद होने के बजाय 4 बजे बंद हो जाएंगे। इस्लाम ने कहा कि प्राइवेट ऑफिस अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपने खुलने का समय निर्धारित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आधी रात से सुबह तक गांवों को सिंचाई के लिए निर्बाध बिजली मुहैया कराएगी।
इस महीने की शुरुआत में सरकार ने 165 मिलियन लोगों के देश में छात्रों और विपक्षी दलों द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए तेल की कीमतों में 51.7 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की। सरकार ने बिजली बचाने के लिए कारखानों के लिए साप्ताहिक अवकाश की भी घोषणा की है।
बांग्लादेश की 416 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वर्षों से दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बढ़े हुए आयात बिलों के कारण घटते विदेशी मुद्रा भंडार ने सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित वैश्विक एजेंसियों से ऋण लेने के लिए प्रेरित किया है। सरकार ने विलासिता की वस्तुओं और तरलीकृत प्राकृतिक गैस के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।