Egypt: प्रेस के दमन को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने किए सनसनीखेज दावे, कहा- अब तक 37 पत्रकारों पर हुई गलत खबर फैलाने की कार्रवाई
By भाषा | Published: May 3, 2020 12:08 PM2020-05-03T12:08:15+5:302020-05-03T12:48:23+5:30
एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में मिस्र के पत्रकारों को लेकर कुछ सनसनीखेज दावे किए गए हैं। इन दावों के अनुसार, यहां पत्रकारों की आवाज को दबाया जा रहा है।
काहिरा: मिस्र में बीते चार साल से मीडिया घरानों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है, असंतुष्ट आवाजों को इस हद तक दबाया जा रहा है कि यहां पत्रकार होना एक अपराध बन गया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रविवार को जारी एक रिपोर्ट में कुछ ऐसे ही सनसनीखेज दावे किए गए हैं। लंदन स्थित इस अधिकार समूह ने कहा कि मिस्र में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में सरकार सूचना पर सख्त नियंत्रण कर रही है।
सरकार कोरोना वायरस महामारी के बीच नहीं बरत रही पारदर्शिता
इस स्वास्थ्य संकट के बीच सरकार जरा भी पारदर्शिता नहीं बरत रही। एमनेस्टी के पश्चिम एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका मामलों के निदेशक फिलिप लूथर ने कहा, ‘‘मिस्र के अधिकारियों ने एकदम स्पष्ट कर दिया है कि जो कोई भी आधिकारिक कथन को चुनौती देगा उसे इसका गंभीर नतीजा भुगतना होगा।’’ प्रेस स्वतंत्रता पर बढ़ती कार्रवाई के उदाहरण के तौर पर एमनेस्टी ने हिरासत में लिए गए 37 पत्रकारों के मामले सामने रखे हैं जिन पर ‘‘गलत खबर फैलाने’’, ‘‘सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने’’ के आरोप हैं।
गलत खबर फैलाने पर होगी पांच साल की कैद और जुर्माने की सजा
दरअसल ये आरोप 2015 के उस विस्तृत आतंकवाद रोधी कानून के तहत लगाए गए हैं जिसमें आतंकवाद की परिभाषा का दायरा बढ़ाते हुए उसमें सभी प्रकार की असहमति को शामिल कर दिया गया था। मिस्र के लोक अभियोजक ने हाल में चेतावनी दी थी कि जो भी कोरोना वायरस के बारे में गलत खबर फैलाएगा, उसे पांच साल की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है।
इस तरह के मामले में कम से कम 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा मिस्र ने दी गार्डियन अखबार के एक पत्रकार को देश निकाला दे दिया क्योंकि उसने अपनी खबर में कहा था कि वायरस की संक्रमण दर आधिकारिक आकड़ों से अधिक हो सकती है।