चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से खतरा बहुत, अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ बोले- डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में सचेत किया था
By भाषा | Published: July 30, 2020 05:22 PM2020-07-30T17:22:40+5:302020-07-30T17:22:40+5:30
‘‘हमने व्यापार संबंधों में गैर पारस्परिक रवैया देखा जहां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने बौद्धिक संपदा की चोरी की और फिर वापस हमें बेच दी, राज्य प्रायोजित उद्योगों को ठगा, उस स्तर तक जाकर साइबर चोरी की जहां तक आज कोई देश पहुंच भी नहीं सकता।’’
वाशिंगटनः अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे को बिल्कुल वास्तविक बताते हुए बुधवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन ने बीजिंग के साथ संबंधों में फिर से संतुलित करने के लिए ‘‘सही कदम’’ उठाने शुरू कर दिए हैं जिससे अमेरिकियों की आजादी की रक्षा हो सके।
पोम्पिओ ने उम्मीद जताई कि चीन यह फैसला लेगा कि व्यापार सौदे के पहले चरण के तहत उनकी प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘हम इंतजार करेंगे और देखेंगे कि क्या वे अपने दायित्वों को पूरा करते हैं।’’ पोम्पिओ ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य से देखे तो राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) ने 2015 में चुनाव प्रचार अभियान के समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जिस खतरे की पहचान की थी वह वास्तविक है। इसलिए हमने इस संबंध को फिर से संतुलित करने के लिए सभी सही कदम उठाने शुरू कर दिए हैं ताकि अमेरिकी लोगों की आजादी की रक्षा हो सके।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने व्यापार संबंधों में गैर पारस्परिक रवैया देखा जहां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने बौद्धिक संपदा की चोरी की और फिर वापस हमें बेच दी, राज्य प्रायोजित उद्योगों को ठगा, उस स्तर तक जाकर साइबर चोरी की जहां तक आज कोई देश पहुंच भी नहीं सकता।’’
एक सवाल के जवाब में पोम्पिओ ने कहा कि कम्युनिस्ट सरकार की अहम मौकों पर सच न बताने की प्रवृत्ति रही है। उन्होंने कहा, ‘‘आज भी वे उन स्थानों तक जाने से रोक रहे है जहां पहुंचा जाना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सकें कि कोरोना वायरस दुनिया भर में कैसे फैला।’’ विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस पहला वायरस नहीं है जो चीन से आया है।
अमेरिकी सीनेटर ने कहा, भारत, चीन अमीर हुए, पर जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहते
चीन और भारत जैसे देश पिछले दो दशक के दौरान काफी अमीर हुए हैं, लेकिन वे कोई नई जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं हैं। एक शीर्ष अमेरिकी सीनेटर ने यह दावा किया है। सीनेटकर चक ग्रासले ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इस ‘असंतुलन’ के मुद्दे को उठाया है, जिससे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को अधिक सुसंगत बनाया जा सके।
ग्रासले सीनेट की शक्तिशाली वित्त समिति के चेयरमैन हैं। उन्होंने बुधवार को डब्ल्यूटीओ पर कांग्रेस में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने दावा किया, ‘‘कोई भी यह उम्मीद नहीं कर रहा था कि उरुग्वे दौर आखिरी वैश्विक व्यापार का दौर होगा। पिछले दो दशक के दौरान चीन और भारत जैसे देश अधिक अमीर हुए हैं, लेकिन उन्होंने कोई नई जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है।’’
ग्रासले ने कहा, ‘‘इसके उलट दोनों देश अपने को विकासशील देश बताते हुये भविष्य की वार्ताओं में उनके साथ विशेष व्यवहार किये जाने का दावा करते हैं।’’ सीनेटर ने कहा कि यह धारणा कि चीन और भारत के साथ कैमरून जैसे देश की तरह का बर्ताव होना चाहिए, पूरी तरह बचकानी बात है। ‘‘ऐसे में मैं राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा इस असंतुलन को दूर करने और डब्ल्यूटीओ को अधिक तार्किक बनाने के प्रयास की सराहना करता हूं।’’