अमेरिका का बजट घाटा, 11 माह में रिकॉर्ड 3000 अरब डॉलर पर, लाखों नौकरियां चली गईं
By भाषा | Published: September 12, 2020 02:24 PM2020-09-12T14:24:45+5:302020-09-12T14:24:45+5:30
महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ी है, जिससे असर बजट घाटे पर पड़ा है। महामारी की वजह से अमेरिका में लाखों नौकरियां चली गई हैं। चालू बजट वर्ष की अक्टूबर से अगस्त की 11 माह की अवधि में बजट घाटा 3,000 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
वाशिंगटनःअमेरिका का बजट घाटा चालू बजट वर्ष के पहले 11 माह में 3,000 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया है। वित्त विभाग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अमेरिका सरकार को कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ी है, जिससे असर बजट घाटे पर पड़ा है। महामारी की वजह से अमेरिका में लाखों नौकरियां चली गई हैं। चालू बजट वर्ष की अक्टूबर से अगस्त की 11 माह की अवधि में बजट घाटा 3,000 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
इससे पहले 11 माह की अवधि में बजट घाटे का रिकॉर्ड 2009 में बना था। उस समय बजट घाटा 1,370 अरब डॉलर रहा था। यह 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट का दौर था। मौजूदा बजट घाटा पिछले रिकॉर्ड से दोगुना से अधिक है। अमेरिका का 2020 का बजट वर्ष 30 सितंबर को समाप्त होना है। अमेरिकी कांग्रेस के बजट कार्यालय का अनुमान है कि पूरे बजट वर्ष में बजट घाटा 3,300 अरब डॉलर रहेगा।
अमेरिका ने मालदीव के साथ रक्षा सहयोग समझौता किया
हिंद महासागर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अमेरिका ने मालदीव के साथ एक रक्षा सहयोग कार्यढांचे पर हस्ताक्षर किये हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की तरफ से शुक्रवार को यह घोषणा की गई। पेंटागन ने कहा कि फिलाडेल्फिया में 10 सितंबर को दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया के लिये उप सहायक रक्षा मंत्री रीड वर्नर और मालदीव की रक्षामंत्री मारिया दीदी ने रक्षा व सुरक्षा समझौते के लिये कार्यढांचे पर हस्ताक्षर किये।
अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा, “यह रूपरेखा हिंद महासागर में शांति व सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दोनों देशों के गहरे संबंधों और सहयोग को निर्धारित करने के साथ ही रक्षा साझेदारी की दिशा में आगे की तरफ बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।”
उसने कहा कि वर्नर और दीदी ने इस द्वीपीय राष्ट्र के कोविड-19 से निपटने में अमेरिका की मदद के साथ ही उन विषयों पर भी चर्चा की जिनमें भविष्य में सहयोग की गुंजाइश है। दोनों के बीच पहले ‘रक्षा और सुरक्षा संवाद’ का कार्यक्रम तय करने को लेकर भी सहमति बनी। पेंटागन ने कहा कि दोनों पक्षों ने स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई जो क्षेत्र के सभी राष्ट्रों की सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देता है।