अमेरिका-चीन तनावः जर्मनी, फ्रांस और केन्या ने कहा-‘चिंताजनक घटनाक्रम’, अफ्रीका पर असर, अर्थव्यवस्था पर चुनौती
By भाषा | Published: July 28, 2020 04:06 PM2020-07-28T16:06:21+5:302020-07-28T16:06:21+5:30
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपना दोस्त बताया लेकिन वह बीजिंग की आलोचना करने से परहेज कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया भी अपने मुख्य सैन्य सहयोगी और अपने सबसे बड़े कारोबारी भागीदार के बीच फंसा हुआ है।
बीजिंगः अमेरिका और चीन के बीच तनाव की जद में दुनिया के अन्य देश भी आ रहे हैं। जर्मनी के एक अधिकारी ने दूसरे शीत युद्ध को लेकर आगाह किया है तो केन्या के राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस महामारी के बीच एकजुटता बनाने की अपील की है।
दुनिया की दोनों अर्थव्यवस्था के बीच एक दूसरे के खिलाफ शुल्क में बढोतरी से वैश्विक कारोबार पिछले दो साल से प्रभावित है। इसके अलावा हांगकांग में नए सुरक्षा कानून, चीन के उइगुर मुसलमान, जासूसी के आरोप और दक्षिण चीन सागर पर नियंत्रण जैसे मुद्दे पर भी तनातनी बढ़ गयी है। दो बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के बीच दुनिया की अन्य सरकारें अपने-अपने हितों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल जलवायु परिवर्तन पर सहयोग और व्यापार की सुरक्षा चाहती हैं लेकिन हांगकांग में नए सुरक्षा कानून थोपे जाने को वह ‘मुश्किल मुद्दा’ मानती हैं । मर्केल ने सोमवार को कहा कि हांगकांग का नया सुरक्षा कानून वार्ता बंद करने का कारण नहीं हो सकता लेकिन यह ‘चिंताजनक घटनाक्रम’ है।
सरकार के समन्वयक पीटर बेयेर ने एक साक्षात्कार में तनाव पर चिंता प्रकट की
ट्रांस अटलांटिक सहयोग के लिए सरकार के समन्वयक पीटर बेयेर ने एक साक्षात्कार में तनाव पर चिंता प्रकट की। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे शीत युद्ध की आहट महसूस की जा रही है।’’ उन्होंने दोनों पक्षों की आलोचना की लेकिन कहा, ‘‘यूरोपीय संघ के बाहर अमेरिका हमारा सबसे बड़ा भागीदार है।’’
उधर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपना दोस्त बताया लेकिन वह बीजिंग की आलोचना करने से परहेज कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया भी अपने मुख्य सैन्य सहयोगी और अपने सबसे बड़े कारोबारी भागीदार के बीच फंसा हुआ है।
भारत ने भी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की लेकिन महामारी और सीमा पर झड़प के कारण देश में चीन विरोधी भावनाएं बढ़ी है। प्रदर्शनकारी चीनी सामानों का बहिष्कार करने का आह्वान कर रहे हैं। चीन-अमेरिका के बीच तनाव का असर अफ्रीका पर भी पड़ा है। अफ्रीकी विकास बैंक ने पिछले साल कहा कि शुल्क में बढोतरी से कुछ अफ्रीकी देशों के लिए आर्थिक उत्पादन में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।