अफगानिस्तान: कक्षा 1 से 6 तक की लड़कियां कर सकती है पढ़ाई- जा सकती है स्कूल, लेकिन.....तालिबान सरकार ने नया आदेश जारी कर दी मंजूरी
By आजाद खान | Published: January 11, 2023 09:50 AM2023-01-11T09:50:27+5:302023-01-11T10:04:23+5:30
आपको बता दें कि अफगानिस्तान में लड़कियों और महिलाओं के पढ़ने पर पूरी तरह से बैन लगने के बाद तालिबान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी। ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा है कि तालिबान ने दबाव में ऐसा फैसला लिया है।

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)
काबुल:तालिबान ने अफगनिस्तान में कक्षा छठवीं तक की लड़कियों के पढ़ाई के लिए मंजूरी दे दी है। ऐसे में तालिबान सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री ने इसका एलान भी कर दिया है और लड़कियों के लिए स्कूल और शैक्षणिक केंद्र खोलने के भी आदेश दे दिए गए है।
लेकिन तालिबान द्वारा यह आदेश केवल कक्षा एक से छह तक के लिए ही दी है। यही नहीं तालिबान ने यह भी कहा है कि ये लड़कियां अगर स्कूल में पढ़ने आती है तो इन्हें इस्लामी कानून के अनुसार ही कपड़े पहनने होंगे। बता दें कि तालिबान में कक्षा एक से छह तक की लड़कियों की पढ़ाई को छोड़कर अभी भी अन्य क्लास की लड़कियों के पढ़ने पर बैन लगा हुआ है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, अफगनिस्तान में तालिबान ने एक आदेश जारी कर कहा है कि वह कक्षा एक से छह तक की लड़कियों के पढ़ने पर लगे बैन को हटाता है और इन्हें स्कूल जाकर पढ़ने का इजाजत देता है। लेकिन तालिबान ने इसके लिए एक शर्त रखा है कि इन लड़कियों को शरिया कानून के मुताबिक पहनवाए पहन कर ही स्कूल जाना होगा।
ऐसे में अफगानिस्तानी शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह आदेश दिया गया है कि वे लड़कियों के लिए स्कूल और शैक्षणिक केंद्र खोला जाए साथ ही कानून का सही से पालन हो इसका भी ध्यान रखें। आपको बता दें कि तालिबान ने पहले ही विश्वविद्यालयों में महिलाओं के पढ़ने पर बैन लगा रखा है। इसके अलावा तालिबान में लड़कियों के सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी के प्रेवश पर पहले से ही रोक चल रहा है।
दबाव में तालिबान ने लड़कियों के पढ़ाई से हटाया बैन
आपको बता दें कि जब से तालिबान ने विश्वविद्यालयों में महिलाओं के पढ़ने पर रोक लगा दी है, तब से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसकी काफी आलोचना हो रही थी। ऐसे में ह्यूमन राइट्स ने तालिबान के इस कदम को "शर्मनाक निर्णय" करार दिया था।
यही नहीं G7 समूह के विदेश मंत्रियों जैसे कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके, यूएस और यूरोपीय संघ ने भी तालिबान के इस कदम की कड़ी आलोचना की थी और चेतावनी देते हुए इसे मानवता के खिलाफ कदम बताया था। इसके साथ कुछ मुस्लिम देश जैसे तुर्की, कतर और पाकिस्तान सहित कई अन्य प्रमुख मुस्लिम देशों ने भी तालिबान की सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो ऐसे में दबाव में आकर तालिबान ने यह फैसला लिया है। उधर, तालिबान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री निदा मोहम्मद नदीम ने भी कहा था विदेशी देश तालिबान द्वारा महिलाओं के शिक्षा संस्थानों में प्रवेश वाले फैसले पर दखल देना बंद करें।