Watch: बेड पर सोया था मरीज, बिना बिजली डॉक्टरों ने किया मोबाइल टॉर्च से इलाज, बैठाई गई जांच

By आजाद खान | Published: August 7, 2022 02:21 PM2022-08-07T14:21:35+5:302022-08-07T14:27:08+5:30

हालांकि अस्पताल ने इन आरोपों पर अपनी सफाई भी दी है और कहा है कि किसी भी मरीज का इलाज मोबाइल फोन के टॉर्च से नहीं किया गया है।

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Watch: बेड पर सोया था मरीज, बिना बिजली डॉक्टरों ने किया मोबाइल टॉर्च से इलाज, बैठाई गई जांच

Highlightsहजारीबाग में मोबाइल के टॉर्च से मरीज के इलाज करने पर जांच बैठाई गई है। हजारीबाग में मोबाइल के टॉर्च से मरीज के इलाज करने पर जांच बैठाई गई है। घटना का वीडियो वायरल होने पर अस्पताल ने सफाई भी दी है।

रांची:झारखंड के हजारीबाग जिले के एक अस्पताल में मोबाइल फोने के टॉर्च की रोशनी से मरीज का इलाज करने पर जांच समिति का गठन हुआ है। बताया जा रहा है कि अस्पताल में बिजली नहीं होने के कारण मरीज का इलाज मोबाइल फोने के टॉर्च से की गई थी। ऐसा दावा किया गया है कि हजारीबाग के विधायक मनीष जायसवाल के सचिव रंजन चौधरी ने यह वीडियो बनाया था जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। 

हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद जब मामले की जांच के लिए समिति का गठन हुआ तो इस पर अस्पताल की ओर से बयान भी आया है। मामले में अस्पताल ने इस बात से इन्कार किया कि मोबाइल फोन की रोशनी में मरीज का इलाज हुआ है। 

क्या है पूरा मामला

बताया जा रहा है कि जिले के कटकमसांडी प्रखंड के अरघुसाई गांव का 24 वर्षीय सागर कुमार राणा गुरुवार की शाम आकाशीय बिजली की चपेट में आने से घायल हो गया था। इसके बाद उसे एचएमसीएच लाया गया और उसी रात इलाज के लिए अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उसका इलाज मोबाइल फोन के टॉर्च से हुआ है, ऐसा दावा सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के जरिए किया गया है। 

क्या दिखा वायरल वीडियो में 

सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में कथित तौर पर दिखाया गया है कि बिजली गिरने से गंभीर रूप से घायल मरीज का इलाज हजारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एचएमसीएच) में मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में किया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि उस समय अस्पताल में बत्ती गुल थी। इस वीडियो को बाद में सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर दिया गया था। 

मामले की जांच के लिए समिति का गठन

वहीं इस मामले में हजारीबाग जिला प्रशासन ने वीडियो की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। बहरहाल, अस्पताल प्रशासन ने इस आरोप से इनकार किया है कि मरीज का मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में इलाज किया गया। 

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