बेरोजगारी के आंकड़ों पर पत्रकार ने मोदी सरकार का किया बचाव, लोगों ने लगाई लताड़
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 31, 2019 06:07 PM2019-01-31T18:07:02+5:302019-01-31T18:32:44+5:30
सरकार के अंतरिम बजट से कुछ दिन पहले ही यह रिपोर्ट सामने आई है, ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले काफी विवाद हो सकता है...
नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट का खुलासा किया है।
पिछले 45 सालों की तुलना में साल 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 फीसदी हो गई थी। एनएससी ने रिपोर्ट को दिसंबर महीने में ही मंजूरी दे दिया था लेकिन सरकार उसे जारी नहीं कर रही थी। इस रिपोर्ट के जारी न होने के कारण आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष सहित दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।
नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद देश में रोजगार की स्थिति पर आया यह पहला सर्वेक्षण है। इससे पहले, भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर कहा था कि ठीक नोटबंदी के बाद साल 2017 के शुरुआती चार महीनों में ही 15 लाख नौकरियां खत्म हो गई हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड कि इस रिपोर्ट पर पत्रकार आर जगन्नाथन ने ट्वीट किया जिस पर लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। जगन्नाथन ने ट्वीट में लिखा कि ' बेरोजगारी के इन आंकडों को बारीकी से पढ़ने की जरूरत है। बेरोजगारी का ये बढ़ा हुआ आंकड़ा दिखाता है कि अब लोग ज्यादा तेजी से काम खोज रहे हैं।..........
कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'मोदी जी, बेरोज़गारी दर 45 साल में सबसे ज़्यादा! इसीलिये आप डेटा छिपा रहे थे। इसीलिये सांख्यिकी आयोग में इस्तीफ़े हुए।' उन्होंने कहा, 'वादा था हर साल 2 करोड़ नौकरियों का, पर आपकी सरकार ने तो नौकरियाँ ख़त्म करने का रिकॉर्ड बना दिया।'
सुरजेवाला ने कहा, 'देश को नहीं चाहिये, युवाओं के भविष्य से खेलने वाली ऐसी भाजपा सरकार।' उन्होंने जो खबर शेयर की है उसमें दिए गए एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही जो पिछले 45 वर्षों के दौरान उच्चतम स्तर है।
मोदी जी,
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 31, 2019
बेरोज़गारी दर 45 साल में सबसे ज़्यादा!
इसीलिये आप डाटा छिपा रहे थे।
इसीलिये NSC में इस्तीफ़े हुए।
वादा था हर साल 2 करोड़ नौकरियों का, पर आपकी सरकार ने तो नौकरियाँ ख़त्म करने का रिकॉर्ड बना दिया।
देश को नहीं चाहिये,युवाओं के भविष्य से खेलने वाली ऐसी भाजपा सरकार! pic.twitter.com/AOdNirckNZ
एक ट्वीटर यूजर ने एक चश्मा भेजा और कहा कि अब नंबरों को पढ़िए
Sir, here it is. Please read the numbers now. pic.twitter.com/8tiokems5o
— Aunindyo Chakravarty (@AunindyoC) January 31, 2019
रोशन राय नाम के यूजरर ने लिखा कि हां, ज्यादा भूखे लोगों का मतलब है कि ज्यादा खाने पर ज्यादा लोगों की निगाह है।
Yes & a higher hunger rate indicates that more people are looking for food.
— Roshan Rai (@RoshanKrRai) January 31, 2019
एक यूजर ने लिखा कि ज्यादा गरीबी यह दिखाती है कि अब ज्यादा लोग पैसों के इंतेजार में हैं।
Higher poverty indicates more people are looking for money....
— RYP अध्यक्ष 🔔 (@Aam_Nationalist) January 31, 2019
एक यूजर ने ट्वीट किया कि ठंड ज्यादा नहीं है, उम्र बढ़ रही है।
Thand Zyada Nahi Hai, Umar Badh Rahi Hai .. (Economic Verion )
— Niraj Bhatia (@bhatia_niraj23) January 31, 2019
बारीकियों को समझने की जरूरत है। मैनें अपना घर नहीं छोड़ा जब मेरा घर जल रहा था। मैं गर्मी महसूस कर रहा था और खुश हो रहा था कि यह जल रहा है।
Need to understand the nuance. I didn't lose my home when my house burnt down, I was warm and comfy while it was burning
— amitbehere (@amitbehere) January 31, 2019
वाह, बेरोजगार का मतलब कि लोग रोजगार खोज रहे हैं, हां बिल्कुल, आप घुमाने की कोशिश कर रहे हैं।
wow jobless means people are looking for a job, yes ofcourse, thats some spin you are trying to make!
— Samsingh (@samsingh1011) January 31, 2019
Need to understand the nuance. It's not erectile dysfunction, it is God keeping you away from the sin of lust.
— amitbehere (@amitbehere) January 31, 2019
Sir jara aaram se chhato...muh mein baal aa jayega 🤣
— Karan (@karanku100) January 31, 2019
You need to go easy on that Gaumutra, sir.
— Anindya Chaudhuri (@anindyachaudhu1) January 31, 2019