पाकिस्तान में यहां दूसरा मर्द पसंद आते ही महिलाएं तोड़ देती हैं शादी, जश्न के मौके पर पीती हैं शराब

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: November 21, 2020 02:13 PM2020-11-21T14:13:34+5:302020-11-21T14:30:23+5:30

अफगानिस्तान से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले कलाशा जनजाति के लोग पाकिस्तान में अल्पसंख्यक कहलाते हैं...

Trending viral news: Have you heard about the Kalash tribe of Pakistan? | पाकिस्तान में यहां दूसरा मर्द पसंद आते ही महिलाएं तोड़ देती हैं शादी, जश्न के मौके पर पीती हैं शराब

कलाशा जनजाति पाकिस्तान के सबसे कम संख्या वाले अल्पसंख्यकों में गिनी जाती है।

Highlightsपाकिस्तान की अल्पसंख्यक जनजाति कलाशा।समुदाय की जनसंख्या करीब 3800कलाशा समुदाय में महिलाओं को विशेष आजादी।

कलाशा जनजाति पाकिस्तान में अल्पसंख्यक है। ये लोग अफगानिस्तान से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में रहते हैं, जिनकी कुल जनसंख्या करीब 3800 है। इस जनजाति में महिलाओं को खास छूट प्राप्त है। इस जनजाति की महिलाएं गैरमर्द पसंद आने पर तुरंत पहली शादी तुरंत तोड़कर उससे शादी कर लेती है।

पख्तूनख्वा प्रांत में रहता है बिंदास समुदाय

पख्तूनख्वा प्रांत के चित्राल घाटी में रहने वाली इस जनजाति की सभ्यता और संस्कृति हिंदूकुश पहाड़ों से घिरे होने के कारण सुरक्षित है। खूबसूरत और बिंदास मिजाज की ये औरतें रंग-बिरंगे कपड़े पहनती हैं और अपने फैसले खुद लेती हैं। शादी-ब्याह में पूरी तरह से इनकी ही मनमर्जी चलती है।

त्योहार पर महिला-पुरुष पीते हैं शराब

बाम्बुराते, बिरीर और रामबुर क्षेत्र में कच्चे घरों में रहने वाले इस समुदाय को साल 2018 में हुई जनगणना में एक अलग जनजाति के तौर पर शामिल किया गया है। यहां स्त्री और पुरुष त्योहारों के मौके पर साथ मिलकर शराब पीते हैं। अपनी रक्षा के लिए ये समुदाय बदूकें भी रखता है।

मौत पर गम नहीं, मनाया जाता है जश्न

खास बात ये है कि इस समुदाय में मौत पर जश्न मनाया जाता है। इनके अनुसार मनुष्य ऊपर वाले की मर्जी से आया है और उसी के मर्जी से वापस जाता है। कोई भी समय से कम और ज्यादा इस धरती पर नहीं रह सकता। इसलिए किसी की मौत पर ये लोग नाचते-गाते और खुशी मनाते हैं।

यहां महिलाएं चलाती हैं घर

इस जनजाति में ज्यादातर औरतें ही घर चलाने के लिए कमाती हैं। ये महिलाएं घर पर ही पर्स और रंगीन मालाएं बनाती हैं, जिसे बेचने के लिए पुरुष बाहर जाते हैं। इसके अलावा भेड़-बकरियां चराने के लिए ये महिलाएं पहाड़ों पर जाती हैं।

इस जनजाति के सदस्यों की संख्या लगभग पौने 4 हजार है।
इस जनजाति के सदस्यों की संख्या लगभग पौने 4 हजार है।

लड़कियां खुद चुनती हैं जीवनसाथी

जिस पाकिस्तान में अगर महिला आजादी की बात करे, तो फतवे जारी हो सकते हैं। उसकी मुल्क में यहां लड़कियां दिसंबर में कैमोस त्योहार के वक्त अपना जीवनसाथी चुन सकती हैं। अगर कोई शादीशुदा महिला अपने पति से नाखुश है, तो दूसरा मर्द पसंद आने पर  वह उससे शादी कर सकती है।

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