जब पत्नी ने भी छोड़ा साथ तो रिक्शे को घर बना कर बच्चों को पढ़ा रहा है ये रिक्शा चालक
By वैशाली कुमारी | Published: September 25, 2021 02:12 PM2021-09-25T14:12:58+5:302021-09-25T14:23:10+5:30
आर्थिक हालात अत्यधिक खराब होने के चलते गणेश अपने बच्चों को कभी स्कूल नहीं भेज सके,लेकिन पढ़ाई के प्रति जागरूकता के चलते उन्होंने खुद अपने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।
गरीबी इस दुनियां का सबसे बड़ा अभिशाप है, गरीबी में बीता जीवन कठनाई से भरा होने के साथ साथ शारीरिक और मानसिक रूप से भी दूभर होता है। लेकिन इस गरीबी भरे मुश्किल समय में भी कुछ लोग चट्टान बनकर खड़े होते हैं और इस आपदा से लड़कर जीतते हैं।
38 वर्षीय गणेश साहू भी उन्हीं लोगों में से हैं जिन्होंने अपनी गरीबी को अभिशाप नहीं माना और उससे आगे बढ़कर एक नई जिंदगी की शुरुआत की। समय बदला तो झोपड़ी झिन गई, पत्नी ने मुसीबत में साथ छोड़ दिया। इतना कुछ होने के बाद भी गणेश ने हार नहीं मानी।
गणेश के पास ना तो घर है और ना ही किसी का साथ, वे तो बस अकेले ही जिंदगी बिताने की ठानकर अपने बच्चों का जीवन संवारने कि जद्दोजहत में जुटे हुए हैं।
कुछ दिनों पहले अतिक्रमण में गणेश की झोपड़ी टूट गई और छत से आशियाना छीन गया। झोपड़ी टूटने के बाद उनका रिक्शा ही उनका आशियाना बना और रोजी रोटी का जरिया भी। झोपड़ी टूटने के बाद अब गणेश दो बच्चों के साथ इसी रिक्शे में रह रहे हैं।
वक्त बदला और तंगी ने दामन थामा तो गणेश की पत्नी ने साथ छोड़ दिया। गणेश की पत्नी ने दोनों बच्चों को पति के पास छोड़ दिया और खुद अपने मायके चली गई। पत्नी के साथ छोड़ने के बाद गणेश अपने 7 वर्षीय बेटे अरुण और 9 वर्षीय बेटी गंगा की देखभाल कर रहे हैं।
आर्थिक हालात अत्यधिक खराब होने के चलते गणेश अपने बच्चों को कभी स्कूल नहीं भेज सके,लेकिन पढ़ाई के प्रति जागरूकता के चलते उन्होंने खुद अपने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। दिनभर मेहनत करने के बाद जब भी मौका मिलता है वे अपने बच्चों को सड़क किनारे चद्दर बिछाकर पढ़ाते हैं।