कश्मीरी लीडर शेहला राशिद ने मीडिया पर उठाये सवाल, कहा- डियर मीडिया, तुम सबूत लेकर क्या करोगे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 20, 2019 04:10 PM2019-08-20T16:10:02+5:302019-08-20T16:10:02+5:30
कश्मीरी लीडर शेहला राशिद को लेकर सोशल मीडिया पर गिरफ्तारी की मांग चल रही है। लोगों का कहना है कि शेहला राशिद को भड़काऊ भाषण और भारतीय सेना पर गलत इल्जाम लगाने के लिये गिरफ्तार करना चाहिए।
जम्मू ऐंड कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (JKPM) की नेता शेहला राशिद ने भारतीय मीडिया पर निशाना साधा है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की पूर्व उपाध्यक्ष व जेएनयूएसयू की सदस्य रह चुकीं शेहला राशिद ने भारतीय मीडिया पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। शेहला राशिद ने ट्वीट करते हुये लिखा है, प्रिय भारतीय मीडिया, आप सबूतों के साथ क्या करेंगे? सीबीआई ने जब पथरीबल फर्जी मुठभेड़ को ठंडे खून की हत्या के रूप में स्थापित किया था तो आपने कुछ नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही पूर्व सुनियोजित हत्या थी, हम AFSPA के कारण मुकदमा नहीं चला सकते। तो मीडिया वालों तुमने इसमें क्या किया? क्या आपने न्याय के लिए अभियान चलाया?''
Dear Indian media, what will you do with proof? Pathribal fake encounter was established as cold-blooded murder by CBI. Supreme Court said that even though it was pre-meditated murder, we can't prosecute because of AFSPA. What did you do? Did you run a campaign for justice?
— Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) August 19, 2019
शेहला राशिद ने मीडिया पर जम्मू-कश्मीर द्नारा की जा रही रिपोर्टिंग को लेकर निशाना साधा है। शेहला राशिद लगातार केंद सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले का विरोध कर रही हैं। आर्मी पर आरोप लगाने के बाद शेहला राशिद की गिरफ्तारी की मांग भी उठी है। शेहला राशिद ने कई ट्वीट कर आरोप लगाया था कि भारतीय सेना कश्मीरियों को बेवजह प्रताड़ित कर रही है। युवा लड़कों को पूछताछ के लिए उठाया जा रहा है और उन्हें जमकर टॉर्चर किया जा रहा है। जिसको भारतीय सीमा ने झूठा बताकर खारिज कर दिया था।
क्या है पथरीबल फर्जी मुठभेड़
दक्षिणी कश्मीर के पथरीबल में 26 मार्च 2000 को पांच लोगों को आतंकवादी बताकर मार दिया गया था। सेना ने पथरीबल फर्जी मुठभेड़ कांड की फाइल यह कहते हुए बंद कर दी थी कि आरोपियों में से किसी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। सेना का दावा था कि मारे गए लोग चरमपंथी थे जो 21 मार्च को हुए सिख समुदाय पर बर्बर हमले के लिए जिम्मेदार थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार जम्मू में सेना के एक प्रवक्ता ने कहा था, ''इकट्ठा किए गए साक्ष्य पहली नजर में आरोपों को पुष्ट नहीं करते।''