रूस ने 59 साल बाद जारी किया दुनिया के सबसे ताकतवर परमाणु बम के परीक्षण का वीडियो, देखिए
By विनीत कुमार | Published: August 27, 2020 11:49 AM2020-08-27T11:49:19+5:302020-08-27T12:58:09+5:30
दुनिया के सबसे ताकतवर परमाणु बम का ये परीक्षण 1961 में किया गया था। सोवियत संघ और अमेरिका के बीच तब शीत युद्ध चरम पर था। ऐसे में अपनी ताकत दिखाने के लिए सोवियत संघ की ओर से ये परीक्षण किया गया था।
रूस ने दुनिया के सबसे बड़े और ताकतवर परमाणु परीक्षण का 59 साल पुराना वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में उस परमाणु बम विस्फोट के परीक्षण की पूरी जानकारी भी दी गई है। इसका परीक्षण 30 अक्टूबर 1961 को किया गया था और तभी से इसे लेकर कई तरह की बातें कही जाती रही हैं। इस बम की ताकत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ये हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से भी करीब 3300 गुना से ज्यादा शक्तिशाली है।
रूस ने इसका परीक्षण रूसी आर्कटिक सागर में किया था। इस बम को इवान नाम दिया गया था। माना जाता है कि अब तक दुनिया में हुए परमाणु विस्फोटों में ये सबसे ताकतवर है। परीक्षण के लिए इस बम को रूस के एक विमान ने इसे आर्कटिक समुद्र में नोवाया जेमल्या के ऊपर बर्फ में गिराया था। इस परीक्षण को दुनिया 'Tsar Bomba' नाम से भी जानती है।
बेहद टॉप सीक्रेट रहे रूस के इस मिशन को लेकर रूस के रोस्तम स्टेट अटॉमिक एनर्जी कॉर्पोरेशन ने बनाए डॉक्यूमेंट्री को इसी 20 अगस्त को यूट्यूब पर अपलोड किया है। इस परीक्षण को कैमरे में कैद करने के लिए कैमरों को सैकड़ों मील की दूरी पर रखा गया था।
वीडियो में दिखता है कि रूस ने इसे गिराने के लिए अपने बमवर्षक विमान TU-95V में बदलाव किए थे। बम में पैराशूट लगाया गया था ताकि विमानों को सुरक्षित दूरी पर जाने का मौका मिल सके। अगर ऐसा नहीं होता तो विमान भी बम की चपेट में आ जाता। यही नहीं, रेडिएशन से बचने के लिए विमानों पर खास तरह का पेंट लगाया गया था।
परमाणु विस्फोट जब होता है तो क्या होता है, इसकी बानगी इस वीडियो में दिखती है। करीब 30 के इस डॉक्यूमेंट्री में 20वें मिनट के बाद बम विस्फोट कराने के वीडियो सामने आते हैं।
ये परीक्षण उस दौर में किया गया था जब सोवियत संघ और अमेरिका के बीच शीत युद्ध चरम पर था। रूस ने बम का परीक्षण अपनी ताकत दिखाने के लिए किया था। कहते हैं कि यह बम 100 मेगाटन ऊर्जा पैदा करने की क्षमता रखता था, लेकिन इसकी बर्बादी का स्तर देखने के बाद वैज्ञानिकों ने इसकी क्षमता घटाकर 50 मेगाटन कर दी।