माधवराव सिंधिया जयंती: ज्योदितरादित्य सिंंधिया की BJP में जाने की अटकलें, जानें सिंधिया राजघराने का जनसंघ और बीजेपी से रिश्ता

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 10, 2020 10:36 AM2020-03-10T10:36:05+5:302020-03-11T10:37:44+5:30

सिंधिया राजघराने के दिग्गज नेता रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की आज जयंती है. ट्विटर पर 'माधवराव सिंधिया' ट्रेंड कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उन्हें नमन किया है.

Madhavrao Scindia Jayanti: Jyotiraditya Scindia's speculation about joining BJP, know Scindia royal family's relationship with Jana Sangh and BJP | माधवराव सिंधिया जयंती: ज्योदितरादित्य सिंंधिया की BJP में जाने की अटकलें, जानें सिंधिया राजघराने का जनसंघ और बीजेपी से रिश्ता

माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो)

Highlightsराजनीति में अभी सिंधिया राजघराने से अभी वसुंधरा राजे, यशोदरा राजे सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दुष्यंत सिंह सक्रिय हैं.मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी ने अपने चुनावी नारों पर सबसे ज्यादा प्रहार ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ही किया था, चुनाव बाद कांग्रेस ने कमलनाथ पर दांव खेला.

मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र में सिंधिया राजघराने का दबदबा आज भी है। सिंधिया राजघराने से कई लोग भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। इसमें सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया ने ही कांग्रेस में रहे। आज उनकी जयंती हैं। इस बीच मध्य प्रदेश के सियासी संकट के बीच अटकलें हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम सकते हैं।

राजमाता विजयराजे सिंधिया से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

1957 में राजनीति में प्रवेश करने वाली विजयराजे सिंधिया शुरुआती दस सालों तक कांग्रेस में रहीं। इसके बाद 1967 में वह जनसंघ में शामिल हो गईं। 1971 में विजयराजे सिंधिया (भिंड) और उनके बेटे माधवराव सिंधिया (गुना) ने कांग्रेस के टिकट चुनाव लड़कर लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की। विजयराजे सिंधिया  भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संस्थापक सदस्यों में एक रही हैं।

माधवराव सिंधिया ने जनसंघ छोड़ा

सिर्फ 26 साल की आयु में माधवराव सिंधिया गुना से लोकसभा सदस्य बने थे। आपातकाल के बाद उन्होंने 1977 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद 1980 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। माधवराव सिंधिया ने अपने जीवन एक बार लोकसभा चुनाव नहीं हारा। वह राजीव गांधी और नरसिंहा राव सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे।  इसके अलावा माधवराव सिंधिया 1990 से 1993 तक बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे हैं। राजीव गांधी सरकार में वह केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे हैं। 2001 में एक हवाई दुर्घटना में उनका आकस्मिक निधन हो गया।

विजयाराजे सिंधिया की दोनों बेटियां भी राजनीति में सक्रिय

माधवराव सिंधिया की बहनें वसुंधरा राजे और यशोदरा राजे सिंधिया भी भारतीय राजनीति में सक्रिय रहीं। वसुंधरा राजे ने 1989 में पहली झालावाड़ से बीजेपी की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की। वसुंधरा राजे 2003 से 2008 और 2013 से 2018 दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं। इसके अलावा अटल बिहारी सरकार में वह केंद्रीय मंत्री भी रहीं। वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह अब झालावाड़ सीट से बीजेपी सांसद हैं।

वहीं उनकी यशोदरा राजे 1980 की दशक में विदेश चली गई थीं। भारत वापसी के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश में बीजेपी के टिकट पर लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है।

अचानक राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रखा कदम

पिता के अचानक मौत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजनीति में कदम रखा। 2002 में गुना संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत हासिल की। इसके बाद इस सीट पर उन्होंने 2004, 2009 और 2014 चुनाव में भी जीत हासिल की। लोकसभा चुनाव 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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