ऐसा चायवाला जो 22 बार हार चुका है चुनाव, लेकिन हिम्मत नहीं हारा, एक बार फिर मैदान में
By रजनीश | Published: April 20, 2019 03:13 PM2019-04-20T15:13:14+5:302019-04-20T15:13:14+5:30
आनंद की उम्र लगभग 50 साल है और ये साल 1994 से हर चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करते हैं। एक साधारण चाय विक्रेता आनंद को इन चुनावों में आर्थिक नुकसान भी होता है इसके बावजूद उनमें जीतने की उम्मीद बरकरार है।
बात करते हैं एक ऐसे शख्स की जो चुनाव लड़े तो कई बार लेकिन अभी तक उनके हिस्से में जीत नहीं आई। मध्य प्रदेश के रहने वाले आनंद सिंह कुशवाहा 23वीं बार ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। आनंद की हिम्मत देखिए 22 बार चुनाव में हार का सामना करने के बाद भी इनका हौसला बरकरार है। एक साधारण चाय विक्रेता आनंद को इन चुनावों में आर्थिक नुकसान भी होता है इसके बावजूद उनमें जीतने की उम्मीद बरकरार है।
आनंद की उम्र लगभग 50 साल है और ये साल 1994 से हर चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए वो कहते हैं कि 'यह एक आकर्षण है। लोगों के अलग-अलग शौक होते हैं और यह मेरा है। मैं लोकतंत्र के इस महापर्व का हिस्सा बनना चाहता हूं।' उनका कहना है, 'देश के जिम्मेदार नागरिक के तौर पर यह मेरा कर्तव्य भी है।'
आप सोच रहे होंगे कि 50 साल में आनंद 23वां चुनाव कैसे लड़ सकते हैं तो आपको बता दें कि नगरपालिका चुनाव, विधानसभा और लोकसभा चुनाव को मिलाकर आनंद 22 चुनाव हार चुके हैं। आनंद ने कहा कि- 'मैंने तो राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी प्रयास किया था।' उनका मानना है कि चुनाव एक गंभीर मुद्दा है, जिसमें आपको जरूर शामिल होना चाहिए।
इनके बीच है मुकाबला
आनंद ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'मेरा टिकट फाइनल नहीं किया गया लेकिन मुझे बीएसपी से टिकट मिलने की उम्मीद है। यदि टिकट नहीं मिलता तो मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा। जहां से आनंद चुनाव लड़ रहे हैं उस ग्वालियर लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी के विवेक शेजवलकर औऱ कांग्रेस के अशोक सिंह के बीच है।
परिवार वालों की एक न सुनी
पहली बार आनंद ने 25 साल पहले ग्वालियर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का चुनाव लड़े थे। कई बार हार का सामना करने वाले आनंद को परिवारवालों ने चुनाव न लड़ने के लिए बहुत समझाया, लेकिन उनकी जिद के आगे परिवार वाले भी अब कुछ नहीं बोलते।