दिल्ली हिंसा: लालू प्रसाद यादव का वीडियो वायरल, इंसान नहीं रहेगा तो घंटा कौन बजाएगा, इबादत कौन करेगा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 26, 2020 04:16 PM2020-02-26T16:16:32+5:302020-02-26T16:54:02+5:30
लालू प्रसाद यादव के वीडियो को हिस्ट्री ऑफ इंडिया ने ट्वीट किया है. इसमें लालू एक जनसभा में आसानी से लोगों की समझा रहे हैं. लालू यादव 1990 के दशक में बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं और यूपीए सरकार में रेल मंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें बिहार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोकने का श्रेय भी है.
उत्तर-पूर्व दिल्ली में 23 फरवरी से हिंसा भड़की हुई है। पिछले 72 घंटे में मृतकों की संख्या बढ़कर 22 हो चुकी है, करीब 150 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का एक वीडियो वायरल हो रहा है। लालू प्रसाद यादव का ये वीडियो 1990 के दशक प्रतीत हो रहा है, उस समय वह पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। @RealHistoryPic ने 50 सेकेंड का एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा, ये वो जमाना था जब नेता बिना टेलीप्रॉम्टर के जनता को समझा लेते थे, जनता पर पकड़ रखते थे।
50 सेकेंड के इस वीडियो में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव कह रहे हैं, "अगर इंसान ही नहीं रहा तो मंदिर में घंटी कौन बजाएगा, या कौन बजाएगा जब इंसानियत पर खतरा हो...जब इंसान ही नहीं रहेगा तो मस्जिद में इबादत देने कौन जाएगा। 24 घंटा में निगाह रखा हूं, हमने अपने शासन की तरफ और अपने तरफ से पूरा उनकी सुरक्षा का भी व्यवस्था किया लेकिन दूसरे तरफ हमारे सामने सवाल है, अगर एक नेता और एक प्रधानमंत्री का जितना जान का कीमत है, उतना आम इंसान के जाना का भी कीमत है। हमने अपने राज्य में दंगा-फसाद फैलने नहीं देंगे। जहां फैलाने का नाम लिया और जहां बवाल खड़ा हुआ, तो फिर हमारे साथ राज रहे या राज चला जाए, हम इस पर कोई समझौता नहीं करने वाले हैं।"
ये वो जमाना था जब नेता बिना टैलिप्राम्प्टर के जनता को समझा लेते थे, जनता पे पकड़ रखते थे। pic.twitter.com/D4lHo1hWjz
— History of India (@RealHistoryPic) February 26, 2020
1990 में लालू प्रसाद यादव ने बिहार में रोका था लालकृष्ण आडवाणी का रथ
लालू प्रसाद यादव के ही राज में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ संयुक्त बिहार में रोक दिया था। विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के पीएम और केंद्र में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार थी, जिसे बीजेपी का समर्थन हासिल था। उस दौरान आडवाणी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा में संसदीय दल के नेता थे। आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाली। 25 सितंबर से शुरू हुई रथयात्रा को 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी लेकिन आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर आडवाणी को उरांव की टीम ने 23 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया। उरांव की टीम ने बिहार सरकार के आदेश के अनुसार आडवाणी को हेलिकॉप्टर से समस्तीपुर से दुमका लेकर गए, जहां आडवाणी मसानजोर गेस्ट हाउस में रखा गया। आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद ही बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और उसके बाद चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने।
आडवाणी को गिरफ्तार करने वाले टीम का नेतृत्व तत्कालीन डीआईजी रामेश्वर उरांव ने किया था। अब कांग्रेस नेता बन चुके उरांव लोहरदग्गा के विधायक हैं। वहीं गिरफ्तार करने वाले टीम के सदस्य आरके सिंह अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं। आरके सिंह ने लगातार दो चुनावों में बिहार के आरा संसदीय सीट से जीत दर्ज की है।