सड़क किनारे झोपड़ी में रहते थे बुजुर्ग दंपति, ऑफिसर ने पूरा किया वर्षों का सपना
By वैशाली कुमारी | Published: September 15, 2021 07:49 PM2021-09-15T19:49:56+5:302021-09-15T20:00:41+5:30
उनका अपना घर नहीं था इसीलिए वो नेशनल हाईवे 66 के पास अपनी झोपड़ी बनाकर रहते हैं। उनका घर का सपना तब सच हुआ जब रेवेन्यू ऑफिसर्स वहां आए और उन्होंने उन्हें प्लॉट देने के प्रक्रिया शुरू कर दी।
रोटी कपड़ा और मकान, आज के जमाने में इन तीनों जरूरी चीजों का होना ही सुख की सबसे बड़ी निशानी है। मगर दुनियां में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनमें से किसी के पास घर है तो कपड़ा नहीं है रोटी है तो मकान नहीं है और कुछ तो ऐसे भी हैं जिनके पास इनमें से तीनों ही नहीं है।
शुक्र मनाइए की कभी कभी रोटी मिल जाती है तो कभी कपड़ा, लेकिन इस मकान का क्या करें ये तो कोई छोटी चीज नहीं जिसे कोई भीख में दे जाए या दान दे जाए। आज भी देश दुनियां में ऐसे लोग हैं जिन्हें एक छत नसीब नहीं है और वे खुले आसमान या फिर तंग झोपड़ियों में अपनी जिंदगी काट रहे हैं।
सोचिए कैसा रहेगा की कोई इंसान सालों से टूटी फूटी झोपड़ी में रहता हो और अचानक से उन्हें उनके नाम से प्लॉट दिया जाए? अब आप कहेंगे कि ये फिल्मों में होता है, लेकिन ये सच है। कुछ ऐसा हो हुआ राजन और उनकी पत्नी मैमुना के साथ और अब पंद्रह साल झोपड़ी में बिताने के बाद दोनों के आंख के सामने उनका सपनों का घर तैयार होने जा रहा है।
केरल के कसारगोड में राजन और उनकी पत्नी मैमुना बीते कई वर्षों से झोपड़ी में रह रहे थे। उनका अपना घर नहीं था इसीलिए वो नेशनल हाईवे 66 के पास अपनी झोपड़ी बनाकर रहते हैं। उनका घर का सपना तब सच हुआ जब रेवेन्यू ऑफिसर्स वहां आए और उन्होंने उन्हें प्लॉट देने के प्रक्रिया शुरू कर दी।
मंगलवार को जिले में 589 ऐसे लोगों को सरकारी स्कीम के तहत प्लॉट दिए गए हैं जो जरूरतमंद थे। केरल लैंड असाइनमेंट रूल के तहत ये प्लॉट आवंटित किए गए हैं।
रिपोर्ट्स की माने तो मंगलवार को कनहानगड़ नगरपालिका चेयरपर्सन के वी सुजाथा वहां पहुंचे। उन्होंने उन्हें मदीकई गांव में 10 सेंट का प्लॉट दिया। राजन ने कहा, ‘ऐसा पहली बार हो रहा है जीवन में, जब हमारे नाम कोई प्लॉट हुआ हो।’ वे दोनों 15 वर्ष पहले आलप्पुझा से कसारगोड काम की तलाश में आए थे। बता दें कि दोनों ही विकलांग हैं। राजन कहते हैं कि अपने नाम पर जमीन होना एक सपना ही था।
अपने नाम प्लॉट होने की खुशी में दंपति के आंखों में आसू थे और सरकार के प्रति कृतज्ञता का भाव था। वाकई अपना घर अपना ही होता है भले ही छोटा हो या बड़ा मगर घर तो घर ही होता है।