सियाचिन में सैनिकों को जरूरत मुताबिक नहीं मिल रहा खाना-कपड़ा, ट्विटर पर यूजर्स बोले, वाह मोदी जी वाह, कुणाल कामरा की पुरानी तस्वीर वायरल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 4, 2020 10:10 AM2020-02-04T10:10:24+5:302020-02-04T10:14:13+5:30
सियाचिन, लद्दाख, डोकलाम में तैनात सैनिकों को लेकर कैग की आई रिपोर्ट को लेकर सोशल मीडिया पर लोग नाराजगी जता रहे हैं.
सियाचिन, लद्दाख, डोकलाम जैसे दुनिया के शीर्ष सैन्य चौकियों और पहाड़ी इलाकों में तैनात भारतीय जवानों को रोज की जरूरतों के लिए भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारी बर्फ के बीच तैनात भारतीय सैनिकों को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी भी नहीं मिल पा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि बर्फीली चोटियों पर तैनाती के लिए खास कपड़ों की जरूरत होती है, लेकिन उसकी खरीद में भी काफी देरी हुई।
सभी से बस चुनाव प्रचार करवा लो सैनिकों की चिंता कौन करें।
— Jyoti Taneja (@jyotitanejab) February 4, 2020
CAG flags lack of rations, gear for soldiers in Siachen, Ladakh https://t.co/Sjfl3KHvlt via @timesofindia
अपने लिए 25 लाख का सूट और खाने को मशरूम और Siachen में जवानों के पास ना पहनने को कपड़े और ना ही उपलब्ध खाना और कहने को हम सबसे बडे़ राष्ट्र भक्त।
— Lost Soul (@BawaleNain) February 4, 2020
वाह मोदी जी वाह। बोलो जय "श्री राम"https://t.co/5gQX83Nr1V
Army jawans posted in Siachen forced to recycle snow boots due to acute shortage, there was a critical shortage (upto 98%) of snow goggles too: CAG report.
— vijaita singh (@vijaita) February 4, 2020
काम बोल रहा है!https://t.co/Dz3S8k0KUs
Acute shortage of high altitude clothing for troops deployed in Siachen & Ladakh: CAG
— Anwar Shaikh (@iamandy1987) February 4, 2020
"Siachen main hamare jawan mar rahe hai"!
This just got real :( #Siachen#KunalKamra#indianarmypic.twitter.com/QMi3L58xPb
सोमवार (3 फ़रवरी) को संसद में पेश की कैग रिपोर्ट से ये गंभीर मामले सामने आए हैं। बता दें कि कैग की यह रिपोर्ट 2017-18 के दौरान की है। रिपोर्ट के मुताबिक बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट नहीं मिलने की वजह से सैनिकों को पुराने जूते रिसाइकल कर पहनना पड़ा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हाई एल्टीट्यूट एरिया में सैनिकों के लिए राशन का स्पेशल स्केल उनकी डेली एनर्जी जरूरत को ध्यान में रखकर तय किया जाता है। हालांकि बेसिक आइटम के बदले में सब्स्टिट्यूट को सीमित प्रतिशत और ‘लागत के आधार’ पर भी ऑथराइज्ड किया गया। साथ ही बेसिक आइटम की जगह पर महंगे सब्स्टिट्यूट को समान कीमत पर सेंग्शन करने की वजह से सैन्य दलों द्वारा ली जाने वाली कैलरी की मात्रा कम हुई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सेना की ईस्टर्न कमांड ने ओपन टेंडर सिस्टम के जरिए कॉन्ट्रैक्ट दिया था लेकिन नॉर्दन कमांड में लिमिटेड टेंडरिंग के जरिए खरीद की गई जिससे निष्पक्ष कॉम्पिटिशन बाधित हुआ।
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2019 में रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि बजट की तंगी और आर्मी की जरूरतों में बढ़ोतरी की वजह से जवानों को ये किल्लत हुई। फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग भी पुराने स्पेसिफिकेशन के खरीद लिए गए जिससे सैनिक बेहतर प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करने से वंचित रहे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डिफेंस लैब में रिसर्च और डिवेलपमेंट की कमी और स्वदेशीकरण में विफलता की वजह से सामान आयात करने पर ही निर्भरता रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में बर्फीले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सामान की मांग बढ़कर 64,131 हो गई। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि धीरे-धीरे इन कमियों को पूरा कर लिया जाएगा।